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________________ TITTr सुवा टोका स्था.७ खु८४३ चमरेन्द्रादीनामनीक तद्धिपतिदेवनिस पणम् ६९५ स्तयाः स्पृष्टत्वादिति स्थापना चे यम-2) इति । चक्रवाला वलयाकृतिः प्रदेशपङ्क्तिः । यथा मण्डन परिभ्रम्य परमाण्यादिसमुत्पद्यते सेत्यर्थः । आकार यिम् इति ६ अर्धचक्रयाला-चक्रवालाई रूपा स्थापना चेयम् (C) इति एकतोवक्राधास्तुःश्रेणयों लोकार्यन्तमदेवापेक्षया संभावनीयाइति। ५०-४-२।। सादेवसैन्यानि दर्पितत्वींचनावालाधचक्रावीलादिना, भ्रमणयुक्तानि भवन्तीति तानि प्रतिपादयितुमाह: : : ..मूलम् -अमरस्तणं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सत्त आणया सत्त अणियाहिबई पण्णता, तं जहां पायत्तीणीए १, पीढाणिए २, कुंजराणिए ३, महिसाणिए ४, रहाणिएं ५, नहार णिए ६, गवाणिएटा में पर्यिताणियाहिबई, एवं जहाँपंचमटाणे जीव किन्नरे रहोणियाहिबई । रितु गणवाणियाहिबई, गीधरई गंधवाणियाहिबई । बलिल्तीण वइरोमणिदस वोय परपणो सत्तारियां सत्त: अणीयाहिबई-पाणता, तं...जहापायत्ताणिए जाव रांधवाणियामदुपायताणीयाहिबई, इसकी स्थापना () इस प्रकार से है, जो प्रदेश क्ति वलय गोल के आकार जैसी होती है वह चक्राला श्रेणी है, जिस से मण्डलोप में परिभ्रमण करके परमाणु आदि उत्पन्न होता है ऐसी वह श्रेणी चक्र बाला श्रेणी है, इसकी स्थापना ) इस प्रकार से है। जो प्रदेश पंक्ति अर्द्ध चक्रवाल के जैसी होती है, वह अर्धचवाला है, इसका आकार (C) इस प्रकार में है। एकतोफा आदि अर्णिया लोक पर्यन्त प्रदेशों की अपेक्षा से संभावनीय है। स्व . TE F i FA पतयन! -ATी काय छ, तने Az44 श्रेलि કહે છે. અતિ વડે ગોળાકારમાં રજૂ કરીને પરમાણે આદિ ઉત્પન્ન થાય છે, એવી તે શ્રેણીને સવાલ શ્રેણી કહે છે. તેનો આકારમાં said .प्रदेश ५ याबाबमा २वा (अपनाया હોય છે તેને અવે ચકવાલણી કહે છે તેને આકાર (C) કૌસમાં બતાવ્યો પ્રમાણે હોય છે. એક વક્ર આદિ શ્રેણીઓ લેપમા અંશેની અપેક્ષાએ જ समानार .... ... .. " : 17 .
SR No.009310
Book TitleSthanang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages773
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size43 MB
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