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________________ لاف ७५ ७६ ७७ ७८ ७९ ८० ८१ ८२ ८३ ८४ ८५ ८६ ८७ ८८ ८९ ९० ९१ ९२ ९३ ९४ ९५ ९६ ९७ ९८ ९९ १०० समुद्घातके स्वरूपका निरूपण for rayer निरूपण भगवान् महावीरके पूर्वका निरूपण कल्पोंके स्वरूपका निरूपण समुद्ररूप क्षेत्रका निरूपण कपायों के स्वरूपका निरूपण कर्मपुद्गलों के चयनादि निमित्तका निरूपण पांचवें स्थानका पहला उद्देशा पांच प्रकारके मात्रका निरूपण वर्णादिका निरूपण संपके विषयभूत एकेन्द्रिय जीवोंग निरूपण अवधिदर्शन के क्षोभके कारणों का निरूपण केवलज्ञान दर्शनमें क्षीभ न होनेका निरूपण नैरयिक आदिकों के शरीरका निरूपण शरोरगतधर्मविशेषका निरूपण प्रतिघातका निरूपण उत्तरगुगों के भेदोंका निरूपण परीपद सहनेका निरूपण 868 ४८२ देतु और अहेतुके स्वरूपका निरूपण तीर्थंकरों के चवनादिका निरूपण ॥ समाप्त ॥ ४८३ ४८४ ४८५-४८६ ४८६-४९० ४९१-४९४ ५२२-५३० ५३० - ५५२ निर्ग्रन्थोंको महानिर्जरादिकी प्राप्ति के कारणका निरूपण ५५२-५५५ ५५६-५६१ आज्ञा अवराधन के कारणका निरूपण पांच प्रकार के विग्रहस्थानका निरूपण विपयादि स्थानोंका निरूपण ५६२-५६८ ५६९-५७१ देवोंके पांच प्रकारका निरूपण ५७१-५७२ देवों के परिचारणाका निरूपण ५७३-५७५ देवों के अग्रमहिपियों का निरूपण ५७५ चमरेन्द्रादिकों के अनीक और अनीकाधिपतियोंका ४९५-५०३ ५०४-५११ ५११-५१४ ५१४-५२१ ५२१-५२२ निरूपण ५७६-५८४ ५८५-५८८ ५८८-५८९ ५९०-६०२ ६०२-६१० ६१०- ६१८
SR No.009309
Book TitleSthanang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size36 MB
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