SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - सुधा टीका स्था०४४ ३०२६-२७ साधोः दुःखाच्या सुखशय्यानिरूपणम् ११५ हण जाव गाउच्छोलणाई आलाएमाणे जाव मणं उच्चावयं णियच्छइ विणिघाय मावज्जइ, चउत्था दुहसेज्जा ॥ ४ ॥ सू०२६ ॥ चत्तारि सुहसेज्जाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - तत्थ खलु इमा पढमा सुहसेज्जा, तं जहा - से णं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्ase णिग्गंथे पावयणे णिस्लंकिए णिक्कखिए fufa - तिमिच्छिए णो भेयसभावण्णे णो कलुससमावण्णे णिग्गंथं पावयणं, सहइ पत्तियइ रोएइ णिग्गंथं पावयणं सद्दहमाणे पत्तियमाणे रोएमाणे णो मणं उच्चावयं नियच्छइ णो विणिघायमावज्जइ, पढमा सुहसेज्जा । १ ॥ अहावरा दोच्चा सुहसेज्जा, तं जहा से णं मुंडे जाव पव्वइएसएणं लाभेणं तुस्सइ परस्स लाभं णो आसाएइ णो पीहेड़ णो पत्थे णो अभिलसइ परस्त लाभमणासाएमाणे जाव अणभिलसमाणे णो मणं उच्चावयं नियच्छइ णो विणिघायमावज्जइ, दोच्चा सुहसेज्जा | २ | अहावरा तच्चा सुहसेज्जा, तं जहा से णं मुंडे जाव पव्वइए दिव्वे माणुस कामभोगे णो आसाएइ जाव णो अभिलसह दिव्वे माणुस्सर कामभोगे अणासाएमाणे जाव अणभिलसमाणे णो मर्ण उच्चावयं नियच्छइ णो विणिघायमावज्जइ, तच्चा सुहसेज्जा | ३ | अहावरा चउत्था सुहसेज्जा, तं जहा से णं मुंडे जाव पव्वइए तस्स पां एवं भवइ-जइ ताव अरहंता भगवंतो हवा
SR No.009309
Book TitleSthanang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy