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________________ ran' sur) श्री स्थानाङ्गमूत्र भा. तीसरे की .. विषयानुक्रमणिका अनुक्रमाङ्क विषय स्था. ४ तीसरा उद्देशा उदकदृष्टान्तसे चार प्रकारके भावोंका निरूपण १-५ पक्षी के दृष्टान्तसे चार प्रकार के पुरुषजातका निरूपण ५-१४ दृष्टान्त सहित पुरुषजातका निरूपण १४-१६ दृष्टान्त सहित श्रमणोपासकके आश्वास-विश्राम का निरूपण १७-२५ फिरभी पुरुष विशेषका निरूपण २५-३२ भावसे जीवोका निरूपण ३२-३४ छेश्या का निरूपण २५-३६ यानादिके दृष्टान्तसे पुरुषजातका निरूपण ३६-४३ युग्य-पभादि के दृष्टान्तसे दार्दान्तिक पुरुपजात का निरूपण ४४-४६ सारथी के दृष्टान्तसे पुरुषजातका निरूपण ४७-५१ गजके दृष्टान्तसे पुरुषजातका निरूषण ५२-५६ पुष्पके दृष्टान्तसे पुरुपजातका निरूपण ५६-५७ जातिसम्पन्नादि पुरुषजावका निरूपण ५८-६६ चार प्रकारके फलके स्वरूपका निरूपण ६६-६८ चार प्रकारके पुरुषजातका निरूपण ६८-७९ चार प्रकारके आचार्य के स्वरूपका निरूपण ७९-८३ निर्ग्रन्थ के स्वरूपका निरूपण ८३-८८ श्रमणोपासकके स्वरूपका निरूपण ८८-९२ महावीरस्वामीके श्रमणोपासकों के सौधर्म कल्पस्थित अरुणाभ विमानकी स्थितिका निरूपण मनुष्यलोकमें देवों के आगमन-आना और अनाग मन्-नहीं आनेके कारणोंका निरूपण ९४-१०८ लोकान्धकार-एवं लोकोद्घोत के कारणोंका निरूपण १०८-११३ ११ २०
SR No.009309
Book TitleSthanang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size36 MB
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