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________________ 1 घाटीका स्था०२ उ०४ खू० ३७ समयादिनां निरूपणम् प्रमाणास्तेषां सर्वे पायाद्यः परमसूक्ष्मः समय इति तमधिकृत्य कालप्ररूपणामाह समयाइ वा ' इत्यादि । " વર मूलम् - समयाइ वा आवलियाइ वा जीवाइ य अजीवाइ य पच्चइ १ | आणपाणूइ वा थोवाइ वा जीवाई य अजीवाइ य पच्चइ २ । खनाइ वा लवाइ वा जीवाइ य अजीवाइ य पच्चइ ३ | एवं मुहुत्ताइ वा, अहोरताई वा४, पखाइ वा मासाइ वा ५, उद्धति व अयणाड़ वा६, संत्र छराइ वा जुगाइ वा७, वासस्याइ वा वाससहस्साइ वाद, वासस्यसहस्साइ वा वासकोडीन वा९, पुव्यंगाइ वा घुधाइ वा १०, तुडियंगाइ वा तुडियाइ वा ११, अडडंगाइ वा अडडाइ वा १२, अववंगाइ वा अववाइ वा१२, हूहू अंगाई वाहूहूयाइ वा १४, उप्पलंगाइ वा उप्पलाइ वा १५, पउमंगाइ वा पउमाइ वा१६, णलिगंगाइ वा गलिणाइ वा १७, अच्छणिकुरंगाइ वा अच्छणिउराइवा १८, अउयंगाइ वा अउचाइ वा १९, उयंगाइ वा णउयाइ वा २०, पउयंगाइ वा पउयाइ वा २१, चूलियंगाइ वा चूलियाइ वा२२, ससिपहेलि चंगाइ वा सीसपहेलियाइ वा २३, पलिओवमाइ वा सागरोवमाइ वा २४, उस्सप्पिणीति वा ओसप्पिणीति वा जीवाइ य अजीवाइ य पवुच्चइ ॥ सू० ३७ ॥ छाया - समया इति वा आवलिका इति वा जीवा इति च अजीवा इति च प्रोच्यते १ | आनमाणा इति वा स्वोका इति वा जीवा इति च अजीवा इति च मोच्यते २ | क्षणा इति वा लवा इति वा जीवा इति च अजीवा इति च मोच्यते ३ । एवं मुहूर्ता इति वा अहोरात्र इति वा ४, पक्षा इवि वा मासा इति वा ५,
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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