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________________ २९४ स्थानानसूत्रे ज्ञान वर्णितम् । अथ चारित्रं वर्णयति मूलम् — दुविहे धस्से पन्नते । तं जहा सुचधस्मे चैव, चरित्रधस्मे चैव । सुयधस्मे दुविहे पन्नत्ते । तं जहा सुत्तसुयधम्मे देव, अत्थसुयधम् चेव । चरितम् दुविहे पन्नत्ते तं जहाअगारचरितम्मे वेव, अणगारचरितधामे चेत्र । दुविहे संजमे पन्नत्ते, तं जहा सरागसंजमे चेव, वीयरागसंजसे चैत्र । सुरागसंजमे दुविहे पन्नते । तं जहा सुहुमपराय सरागसंजमे चेत्र, वादरसंपरायसरागसंजमे चैव । सुहुमसंपरायसराय संजमे दुविहे पन्न. तं जहा- पढमसमय सुहुम संप राय सरागसंजमे चेव, अपढमसमय सुहुमसंपरायसरागसंजमे देव | अहवा चरमसमय सुहुमसंपरायसरागसंजसे चेक, अचरमसमयसु हुमसंप्रराय सरागसंजने चेव । अहवा-सुहुमसंपायलरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते । तं जहासंकिले समाए चेव, विसुज्झमाणए चेत्र । बादरपरायसरागसंजमे दुविहे पन्नन्ते । तं जहा पढमसमयवादरसंपरायसरागसंजमे चेव, अपढमसमयवाद संप्ररायसरागसंजमे चेव | अहवाचरिमसमयवादरसंपरायसरागसंजमे चेव, अचरिमसमयबादरसंपरायसरागसंज मे चैव । अह्वा-वायरसंपरायसरागसंजमे दुबिहे पन्नते । तं जहा पडिवाई चेव, अपडिवाई चेव । वीयराग संजमे दुविहे पन्नते । तं जहा - उवसंत - कसाय - वीयरागसंजमे चेत्र, खीणकसायवीयरागसं जमे चेत्र । उवसंत कसायवीयरागसंजमे दुविहे पन्नते, तं जहा- पढमसमय उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव, अपढमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव | अहवा
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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