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________________ सुधा टीका स्था० २ ० १ २०१२ पानानिरपणम् चत्र । श्रुननिश्रिनं विविध प्राप्तम् । तद्यथा-अर्थावग्रहक, व्यसनावग्रहोर । अननिश्रितमप्रमेय । श्रुतज्ञान विविध प्राप्तम् । तद् यथा-अगमविष्टं चैत्र, अगवाही चैव । अगवाही द्विविधं प्रज्ञप्तम । तद् यथा-आवश्यकं चैत्र, आवश्यक व्यतिरिक्त चैव । आवश्यकव्यतिरिक्त विविध प्राप्तम् । तद यथा-कालिकं चैव उत्कालिकं चैव ॥ मृ० १५ ॥ टीका-विहे नाणे पन्नत्ते' इत्यादि सूत्रमेतत् सुगमम् । संस्कृत छायातोऽजगन्तव्यम् । नन्दीमत्रम्य झान चन्द्रिकाटोकायां ज्ञानं सविरतरं वर्गितमस्माभिरिति तत्र जिनामृभिर्द्रष्टव्यम् ।।१०१५ ।। __परोक्षजान दो प्रकार का कहा गया है-एक आभिनियोधिक और दुसरा शुनजान आभिनियोधिकज्ञान भी श्रुतनिश्रित और अश्रुतनिधिन के भेद से दो प्रकार का है अनानिश्रित आभिनियोधिक ज्ञान भी दो प्रकार का है एक अधावग्रहस्प और दसरा व्यखनावग्रहस्प अप्रतनि. श्रित आभिनियोधिकज्ञान भी अवग्रह और व्यञ्जनावग्रह के भेद से दो प्रकार का है शुनजान भी दो प्रकार का है एक अलमविष्ट और दुसग अगवान्य अङ्गवाच्य भी आवश्यक और आवश्यकव्यतिरिक्त के भेद से दो प्रकार का है, इनमें आवश्यकव्यतिरिक्त भी दो प्रकार का है एक कालिक और दसरा उत्कालिक नन्दी सूत्र की ज्ञानचन्द्रिका नाम की टीका में ज्ञान का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है अतः वहीं से यह सब विषय अच्छी तरहसे जाना जा सकता है ।। मृ०१५॥ પરેશાન પણ બે પ્રકારનું કર્યું છે-(૧) આભિનિધિ , અને (૨) શ્રુતજ્ઞાન અભિનિબંધિક જ્ઞાનને પણ નીચે પ્રમાણે બે ભેદ છે-(૧) શતનિશ્ચિત અને (૨) અછૂતનિશ્ચિત. શ્રતનિશ્ચિત આભિનિબોધિક જ્ઞાન પ બે પ્રકારનું ક છે-(૧) અર્થાવગ્રહ રૂપ અને (૨) વ્યંજનાવગ્રહ રૂપ. અતનિશ્ચિત આમિનિબાધિક જ્ઞાનના પC નીચે પ્રમાણે બે પ્રકાર છે-(૧) અર્થાવરુપ मने (२) ०५ना५५३५. अनजानना पड़ मे २ 360 -(१) गरिए अने (२) मामाहा અંગબાજ નજ્ઞાનના પળ બે ભેદ છે-(૧) આવક અને આવશ્યક વ્યનિતિ. આવશ્યકનિરિદન અંગાધ શતાનના પ નીચે પ્રમાણે બે ભેદ કહ્યા છે. (1) वि भने 61Rs. નદીસૂની નાનચદ્રિકા નામની ટિકામાં કાનનું વિસ્તારપૂર્વક વન કરવામાં આવ્યું છે. તે ાિસુએ આ વિષયની વધુ માહિતી હાથી मपीपी. । सू० १५ ॥
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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