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________________ सुधा टोका स्था० १ ० १ सू०५२ नारकादीनां धर्गणानिरूपणम 245 भेदादनेकविधाः, तेर्पा वर्गणा = राशिः एका = एकत्वसंख्याविशिष्टा । एवं च नात्पर्यायसम्पाद बोध्यम् । एवमग्रेऽपि सर्वत्र तत्तत्पयय साम्यादकत्वं बोध्यम् । तथा-अनुरकुमाराणाम् अमृराथ ते कुमाराश्चेति असुरकुमाराः, कुमारत्वं "एगा अजहष्णुको सगुणलुक्खाणं पोग्गलाणं वग्गणा " इस अन्तिम संदर्भ द्वारा करते हैं- 'एगा नेरयाणं वग्गणा ' इत्यादि ॥ ५३ ॥ टीकार्थ - सातावेदनीय आदि शुभरूप कर्मा से जो स्थान निर्गत -रहित होते हैं वे निरय हैं यहाँ निर शब्द का अर्थ निर्गति है और अय शब्द का अर्थ सातावेदनीय आदिरूप शुभकर्म है इन निरयों में नरकावासों में जो होते हैं वे नैरयिक है अर्थात् इन नरकावासों में जो जन्म लेते हैं वे नारक हैं । ये नारक, पृथिवी, प्रस्तर नरकावास, स्थिति और भव्यत्वादि के भेद से अनेक प्रकार के होते हैं। वर्गणा नाम राशि का है इस तरह नैरयिकों की राशि एकत्वसंख्याविशिष्ट है यह एकत्व उनमें नारकपर्याय की समानता को लेकर कहा गया है । इसी तरह से आगे भी अपनी २ पर्याय की समानता को लेकर एकत्व सनझना चाहिये तथा असुरकुमारों की वर्गणा में भी एकता है, इन असुरों को जो कुमार कहा गया है उसका कारण इनका सदा नवयुवक जैसे ८८ एगा नेरइयाणं આ સૂત્રથી લઇને एगा अणुको मगुणलुम्खाणं આ સૂત્ર પર્યન્તના સંદર્ભમાં કરવામાં આવે છે. પાદન पोग्गलाणं वग्गणा ܙܕ ܕܐ "" एगा नेरइया वग्गणा " इत्यादि ॥ ५३ ॥ ટીકા સાતાવેદનીય આદિ શુભરૂપ કર્મોથી જે સ્થાન નિત (રહિત) हाय छे, ते स्थानने 'निरय' से छे. अहीं ' नि: ' राष्टनो अर्थ निति (रखितता ) हे, गाने 'अय " नो अर्थ' सातावेदनीय गाडिय शुभ में छे. આ નિરયેામાં ( નરકાવાસેામાં) જન્મ લેનારા જીવેશને નૈરિયા કહે છે. નૈર ચિંકાનું છીન્નું નામ નારકા છે. તે નારકે પૃથ્વી, પ્રસ્તર, નકાવાસ, સ્થિતિ અને ભુખ્યત્વે આદિના ભેદથી અનેક પ્રકારના હાય છે. રાશિને વા કહે છે, આ રીતે વૈયિકાની રાશિને એકત્વ સખ્યાવાળી કહી છે, નારક પર્યાયની સમાનતાની અપેક્ષાએ તેએમાં એકત્ર કર્યું છે. એજ પ્રમાણે આગળ પણ ખેતપેાતાની પર્યાયની સમાનતાની અપેક્ષાએ જ એકવ સમજવું' અસુરકુમારાની વણામાં પણ દૃષ્ટિએ જ એકત્વ સમજવુ તેઇએ. ત્રણ અસુરને
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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