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________________ समुद्र समुद्र में लहरें तो आती जाती हैं प्रवाह तो है सदैव हर लहर का स्पर्श अलग, कोई लगे शक्तिवान और कोई लगे हलकी, हर लहर का रंग भी अलग, एवं सुगंध भी अलग, किस लहर में वनस्पती, तो किस में हैं रंग बिरंगे नन्हें प्राणी, रहता है यह प्रवाह सदैव. मैं तो देखती ही रही, जानती ही रही, कैसे कोई भी बदले इस समुद्र के प्रवाह को. इस प्रवाह के संग ऐसा ही अनुभव रहा कि, मैं तो जान ही रही समुद्र को समुद्र जो है विशाल, गहरा, अथाह और दिखे दूर दूर तक अपरिमित, अनंत, अंतर में स्थिर, किनारों पर परिणमता. मेरा ज्ञान तो जाने सारे समुद्र को, उसकी गहराई को एवं उसके प्रवाह को भी, समुद्र के एक एक परमाणु को एवं उसमें रहते एक अचल, अडोल भाव को समुद्र ही है, गहराइयों में, और है किनारों पर लहरों में समुद्र में लहरें तो आती जाती हैं प्रवाह तो है सदैव. 209
SR No.009270
Book TitleSurakshit Khatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Maru
PublisherHansraj C Maru
Publication Year2014
Total Pages219
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size28 MB
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