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________________ नमस्कारफलम् सभी शास्त्रों में निपुणता, रहस्यभूत अर्थ की प्रकाशक बुद्धि, आत्मतत्त्व का ज्ञान ये सब नमस्कार महामन्त्र के फल है । । १७।। स्याद्वादे खलु नैपुण्यं प्रीतिर्जिनागमे तथा । विदुषां परितोषश्च नमस्कारस्य सत्फलम् ।।१८।। स्याद्वाद में निपुणता, जिनागम पर प्रेम, विद्वानों को अपने उत्तर से संतुष्ट करना ये सब नमस्कार मंत्र के फल हैं ।। १८ ।। विनाशोऽशुभभावानां सङ्गतिः साधुभिः सदा । वर्धमाना रतिर्धर्मे नमस्कारस्य सत्फलम्।।१९।। ४९ अशुभ भावनाओं का नाश, साधुओं की संगति, धर्म में बढती अभिरुचि ये नमस्कार महामन्त्र के फल है ।। १९।। इन्द्रियाणां जयश्चैव कषायाणां जयस्तथा। आत्मानुभानुभवसम्प्राप्तिर्नमस्कारस्य सत्फलम्।। ।।२०।। इन्द्रियों के ऊपर विजय, कषायों को जीतना, आत्मतत्त्व के अनुभव की प्राप्तिये नमस्कार फल है ।।२०।। योगमार्गे प्रयाणं च सर्वविघ्नजयात्सदा । सद्योगभूमिकाप्राप्तिर्नमस्कारस्य सत्फलम् ।। २१ ।। योगमार्ग में प्रयाण करना, सभी विघ्नों (काम-क्रोधादि) के ऊपर विजय प्राप्त करके सद्योग के लिए भूमिका की प्राप्ति नमस्कार मन्त्र का फल है।।२१।। अपुनर्बन्धकत्वं च गुणा मार्गानुसारिणाम् । सद्बोधिर्विरतिश्चैव नमस्कारस्य सत्फलम्।।२२।। अपुनर्बंधक दशा', मार्गानुसारी दशा, सम्यग्दर्शन और विरति नमस्कार मन्त्र के शुभ फल है।। २२।। १ मोहनीय कर्म की उत्कृष्ट स्थिति का बंध पुनः न हो ऐसी आत्मभूमिका २. धर्मप्राप्ति की योग्यता सूचक ३५ गुणसंपन्न भूमिका ।
SR No.009267
Book TitleYogkalpalata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirish Parmanand Kapadia
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages145
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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