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________________ तुम छोड परिग्रह भार नाथ, लीनो चारित तप ज्ञान साथ। निज आतम ध्यान प्रकाशकार, तुम कर्म जलावन वृत्ति धार।।3।। जय सर्व जीव रक्षक कृपाल, जय धारत रत्नत्रय विशाल। जय मौनी आतम मननकार, जग जीव उद्धारक मार्ग धार।।4।। हम गृह पवित्र तुम चरण पाय, हम मन पवित्र तुम ध्याय ध्याय। हम भये कृतारथ आप पाय, तुम चरण सेवने चित बढाय।।5।। ऊँ ह्रीं श्री ऋषभतीर्थंकर ममगृहे अत्र आगच्छ आगच्छ सम्वौषट् आह्वाननम्। ऊँ ह्रीं श्री ऋषभतीर्थंकर ममगृहे अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ऊँ ह्रीं श्री ऋषभतीर्थंकर ममगृहे अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्। (वसंततिलका) सुन्दर पवित्र गंगाजल लेय झारी, डारूँ त्रिधार तुम चरणन अग्र भारी। श्री तीर्थनाथ वृषभेश मुनीन्द्र चरणा, पूजूं सुमंगल करण सब पाप हरणा।। ऊँ ह्रीं ऋषभ तीर्थंकर मुनींद्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। श्री चन्दानादि शुभ केशर मिश्र लाये, भव ताप उपशम करण निजभाव ध्याये। श्री तीर्थनाथ वृषभेश मुनीन्द्र चरणा, पूर्जे सुमंगल करण सब पाप हरणा।। ऊँ ह्रीं ऋषभ तीर्थंकर मुनींद्राय संसारतापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा। शुभ श्वेत निर्मल सुअक्षत धार थाली, अक्षत गुणा प्रगट कारण शक्तिशाली। श्री तीर्थनाथ वृषभेश मुनीन्द्र चरणा, पूर्जे सुमंगल करण सब पाप हरणा।। ऊँ ह्रीं ऋषभ तीर्थंकर मुनींद्राय अक्षयपदप्राप्ताय अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा। चम्पा गुलाब इत्यादि सु पुण्य धारें, है काम शत्रु बलवान तिसे विदारे। श्री तीर्थनाथ वृषभेश मुनीन्द्र चरणा, पूजूं सुमंगल करण सब पाप हरणा।। 496
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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