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________________ शान्तिधारा। अथ 'क्ष'' वर्ण पूजा खंगं खेटाब्जबाणं हलमुसलगदा शंख चक्र त्रिशूलं, पाशं कोदण्डशक्त्या-ङ्कुशवरविपुलं वज्रषोडशबाहुम। हेमाङ्ग भानुतेज झटमुकुटकिरी-टान्वितं वनतेया रूढं राजान्वयस्थं त्रिभुवननिलयं प्रार्चयेऽहं क्ष बीजम्।। ऊँ आं क्रों ह्रीं हेमवर्ण गरुडपृष्ठाधिष्ठित षोडश भुजालंकृत क्ष बीज! एहि-एहि संवौषट्। ॐ आं क्रों ह्रीं हेमवर्ण गरुडपृष्ठाधिष्ठित षोडश भुजालंकृत क्ष बीज! अत्र तिष्ठ-तिष्ठ ठः-ठः स्थापनम्। ऊँ आं क्रों ह्रीं हेमवर्ण गरुडपृष्ठाधिष्ठित षोडश भुजालंकृत क्ष बीज! अत्र मम सन्निहितो भव-भव वषट्। अथाष्टक ऊँ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। ऊँ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा। ऊँ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा। ॐ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। ॐ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय चळं निर्वपामीति स्वाहा। ॐ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। ऊँ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। ॐ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय फलं निर्वपामीति स्वाहा। ॐ आं क्रों ह्रीं कनकवर्णविभूषित क्ष बीजाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। सुवर्णवस्त्रान्वितशस्त्रहस्तं-विभूषणाङ्गं निजवाहनस्थं। समस्तविघ्नौघ निवारणार्थं, नीरादिभेदैः प्रयजे क्ष बीजम्। ऊँ आं क्रो ह्रीं रक्ताम्बराभरणभूषिताय क्ष वर्णाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।5।। 407
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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