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भोजन बेला आमिष जोय, तो मुनि भोजन नाहीं होय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं आमिषदर्शनरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
भोजन में यदि कणा दिखाय, तो मुनि भोजन नाहीं खाय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं कणदर्शनरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
जीमत तिल के अंश दिखाय, तो मुनिवर आहार न पाय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं तिलकणदर्शनरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
भोजन में यदि बीज दिखाय, तो भोजन नाहीं यति खाय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं बीजदर्शनदोषरहितैषणासमितियुत सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
साबित फल भोजन में आय, ऋषि अनशन धारें हरषाये।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं फलदर्शनरहितैषणासमितिसहित सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
कन्दवस्तु भोजन में आय, अन्तराय माने मुनिराय।
समिति एषणा तब शुध जान, या जुतचारित पूज्यसुमान।। ओं ह्रीं कन्ददर्शनरहितैषणासमितिसहित सम्यक्चारित्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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