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________________ Syc. ऊँ श्री नन्दीश्वर द्वीप पूजन विधान ( कवि श्री रविलाल जी कृत ) स्थापना - दोहा नित आतम कल्याण की, व्याधि उठी हिय मांहि । नर भव बिन कैसें तपे, आतम-आतम मांहि ।। 1 ॥ शुद्धातम जिनराज लख, समदृष्टि सुरलोक । भक्ति करें इनकी सही, बढ़े पुण्य का थोक ||2| जान अढ़ाई पर्व को, देवन किया विचार नन्दीश्वर द्वीप जायकें करें पूज 'चित धार ॥3॥ अकृत्रिम जिन बिम्ब तँह, अरहतसम नहिं फेर। धन्य भाग्य उनका जिन्हें, मिले दरश सुख ढ़ेर||4| त्रिभंगी हम किसी विधि जावैं, पूजा रचावैं, गुण गण गावें प्रभुजी के वह अष्टम द्वीपा, वह सुख रूपा, वह गुण कूपा प्रभुजी के शक्तिहीन हम, ढाई द्वीप के, पद दर्शन की, प्रभु जी को।। हम इतहिं मनावें हृदय थपावें, शीश झुकावें प्रभु जी को।। ऊँ ह्रीं श्री नन्दीश्वर द्वीपस्थ द्विपञ्चाशज्जिनालयस्थ जिनबिंब समूह ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। ऊँ ह्रीं श्री नन्दीश्वर द्वीपस्थ द्विपञ्चाशज्जिनालयस्थ जिनबिंब समूह ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। 210
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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