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________________ जय द्वादशि चैत्रसुदी सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।16।। जय सीरीदत्त वर कूट जास, पंचमगति श्रीजिन धर्म पास। जय चैत्र अमावस तहँ नरेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।17।। जय शान्तप्रभासी कूट जेह, प्रभु शान्ति जगत शिवपुर वसेह। जय ज्येष्ठ भ्रमर भू तिथि सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।18॥ जय कूट ज्ञानधरसरस ठौर, प्रभु कुन्थु भये त्रयभुवन मौर। जय वदि वैशाख प्रथम दिनेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।19।। __जय नाटककूट समेद शीस, जय अरहनाथ हुव मुकति ईश। जय चैत्र अमावस तिथि सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।20।। जय संवलकूट पवित्र थान, हनि मल्लि मल्ल कमन अमान। जय फाल्गुन सुदि पंचमि प्रवेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।21॥ जय निर्जरकूट पवित्र गाय, मुनि सुव्रत मुक्ति वधू रमाय। फाल्गुन वदि बारस सोदिनेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।22॥ यह कूट मित्रधर परमठाम, नमिनाथ पधारें मुक्ति धाम। जय सुदि वैशाख चतुर्दशेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।23।। जय कूट सुवर्ण सुभद्र नाम, प्रभुपारस तजि सब जगतकाम। जय श्रावण सुदि सातें खगेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।।24।। शिवगमन समय इनको बखान, अनुक्रम लखि अंकहि नाम जान। जिन प्रथम द्वतिय चौथे गुणेश, पंचम सप्तम अष्टम जिनेश।।25।। एकादश दशम जिनेन्द्र देव, पूर्वान्ह समय शिव मार्ग लेव। पुनि बारस तेरस चौदमीस, षोडस सत्रम उनईस बीस।।26।। वावीसम तेवीसम जिनेश, किये निशासमय शिव में प्रवेश। तीजे नवमें छठवें जिनुक्त, ये दिनके पिछले पहर मुक्त।।27। 113
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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