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________________ पंचकल्याणक तर्ज -बाजे कुंडलपुर में बधाई.... आषाढ़ सुदी छठ आई, कि स्वर्ग से जिन आये महावीर जी। माँ प्रियकारिणी हर्षाई, कि गर्भ में प्रभु आयेमहावीर जी।। हैं चौबीसवें तीर्थंकर, कि सुर नर गुण गाये महावीर जी। माँ ने सोलह सपने देखे, कि त्रिपावन के नाथ पाये महावीर जी।। बजे कुण्डलपुर में बधाई, कि गर्भ में वीर आये महावीर जी।।1।। ऊँ ह्रीं आषाढ़शुक्लषष्ठयां गर्भमंगलमंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अयं निर्वपामीति स्वाहा। धन्य घड़ी जन्म की आई, कि ज्ञान धन बरसाये महावीर जी। तिहुँ लोक में आनंद छाया, कि सुख की बाहर लाये महावीर जी।। अभिषेक करे मेरु पर, कि क्षीर जल भर लाये महावीर जी। हम जन्म कल्याणक मनाये, कि चैतसुदी तेरसआये महावीर जी।। बजे कुण्डलपुर में बधाई, कि अंगना में वीर आये महवीर जी॥2॥ ऊँ ह्रीं चैत्रशुक्लत्रयोदश्यां जन्ममंगलमंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अयं निर्वपामीति स्वाहा। मगसिर वदी दशमी आई, प्रभु वैराग्य हुआ महावीरा जी। चंद्राभा पालकी लेकर, सुरपति वन आ गये महावीर जी।। प्रभु !सिद्ध नमः कहते ही, जिन दीक्षा धारी जमहावीर जी। हो गए स्वयंभू स्वामी, परम जग उपकारी महावीर जी।। बाजे आतम में शहनाई, कि निज गृह वीर आये महावीर जी।3।। ऊँ ह्रीं मार्गशीर्षकृष्णदशम्यां तपोमंगलमंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अयं निर्वपामीति स्वाहा 182
SR No.009250
Book TitleJin Pujan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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