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________________ श्री मुनिसुव्रतनाथ जी की आरती (2) ____ (चालः- ओम् जय सन्मति देवा.....) ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रतस्वामी | भक्ति भाव से प्रणमू, जय अंतरयामी || ॐ जय0 राजगृही में जन्म लिया प्रभु, आनन्द भयो भारी | सुर नर-मुनि गुण गाएँ, आरती कर थारी || ॐ जय) पिता तिहारे, सुमित्र राजा, शामा के जाया | श्यामवर्ण मूरत तेरी, पैठण में अतिशय दर्शाया ||ॐ जय) जो ध्यावे सुख& पावे, सब संकट दूर करें | मन वांछित फल पावे, जो प्रभु चरण धरें || ॐ जय0 जन्म मरण, दुख हरो प्रभु, सब पाप मिटे मेरे | ऐसी कृपा करो प्रभु, हम दास रहें तेरे || ॐ जय) निजगुण ज्ञान का, दीपक ले आरती करुं थारी | सम्यग्ज्ञान दो सबको, जय त्रिभुवन के स्वामी || ॐ जय0 42
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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