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________________ श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान की आरती (1) ___ मुनिसुव्रत भगवान हैं, सर्वगुणों की खान हैं। आरति करते जो भविजन, क्रम से पाते निर्वाण हैं।। मुनिसुव्रतनाथ भगवान हैं।।टेक.।। वीतराग सर्वज्ञ हितंकर, नील प्रभा के धारी हैं।नील... हे हरिवंश शिरोमणि प्रभुवर, छवि तेरी मनहारी है।छवी...... राजगृही शुभ धाम है, जन्में श्री भगवान हैं।।आरति....॥१॥ पितु सुमित्र जी पिता तुम्हारे, सोमादेवी माता हैं।सोमादेवी..... श्रावण वदी द्वितीया तिथि को, गर्भ बसे जगत्राता हैं।।गर्भ.. इन्द्र करें गुणगान हैं, हुआ गर्भकल्याण है।।आरति....॥२॥ शुभ वैशाख वदी बारस तिथि, जब जिनवर ने जन्म लिया। जब...... अरु वैशाख वदी दशमी तिथि, दीक्षा ले वन गमन किया।।दीक्षा..... प्रभु महिमा सुखदान है, जाने सकल जहान है।आरति....॥३॥ थी वैशाख वदी नवमी, केवल रवि किरणें प्रकट हुईं।केवल....... फाल्गुन कृष्ण सुबारस, गिरि सम्मेदशिखर से मुक्ति मिली।।सम्मेदशिखर... तीरथराज महान है, प्रभु को हुआ निर्वाण है।।आरति....॥४॥ प्रभू आपकी आरति करके, केवल इक अभिलाष करूँ।।केवल....... मुक्तिवधू मिल जावे “इन्दू'', फेर न भव-भव भ्रमण करूँ।। फेर... करते जगकल्याण हैं, पावन पूज्य महान हैं। आरति....॥५।। 41
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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