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________________ मंगसिर सित दसमी दिन राजे, तादिन संजम धरे विराजै। अपराजित-घर भोजन पाई, हम पूजें इत चित-हरषाई।। ऊँ ह्रीं मार्गशीर्षशुक्ला-दशम्यां तपोमंगल-प्राप्ताय श्रीअरहनाथजिनेन्द्राय अयं निर्वपामीति स्वाहा।3। कार्तिक सित द्वादशि अरि चूरे, केवलज्ञान भयो गुन पूरे। समवसरन तिथि धरम बखाने, जजत चरन हम पातक-भाने।। ऊँ ह्रीं कार्तिकशुक्ला-द्वादश्यां ज्ञानमंगल-प्राप्ताय श्रीअरहनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।40 चैत कृष्ण अमावसी सब कर्म, नाशि वास किय शिव-थल पर्म। निहचल गुन-अनंत भंडारी, जजों देव सुधि लेहु हमारी।। ऊँ ह्रीं चैत्रकृष्णा-अमावस्यां मोक्षमंगलप्राप्ताय श्रीअरहनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।2। जयमाला (दोहा-छन्द) बाहर भीतर के जिते, जाहर अर दुखदाय। ता हर कर जिन भये, साहर शिवपुर-राय।।1। राय-सुदरशन जासु पितु, मित्रादेवी माय। हेमवरन-तन वरष वर, चउ-असि-सहस सु आय।।2।। __(छन्द तोटक) जय श्रीधर श्रीकर श्रीपति जी, जय श्रीवर श्रीभर श्रीमति जी। भवभीम-भवोदधि-तारन हैं, अरनाथ नमों सुखकारन हैं।।3।। गरभादिक-मंगल सार धरे, जग-जीवनि के दुखदंद हरे। कुरुवंश-शिखामनि तारन हैं, अरनाथ नमों सुखकारन हैं।।4।। करि राज छखंड विभूतिमई, तप धारत केवलबोध ठई। गण तीस जहाँ भ्रमवारन हैं, अरहनाथ नमों सुखकारन हैं।।5।। भवि-जीवनको उपदेश दियौ, शिव-हेतु सबै जन धारि लियो। जगके सब-संकट-टारन हैं, अरनाथ नमों सुखकारन है।।6।। कहि बीस-प्ररूपन सार तहाँ, निजशर्म-सुधारस-धार जहाँ। गति-चार हृषीपन धारन हैं, अरनाथ नमों सुखकारन हैं।।7।। षट्-काय तिजोग तिवेद मथा, पनवीस कषा वसु-ज्ञान तथा। 99
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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