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________________ नेवज विविध निहार, उत्तम षट्-रस-संजुगत । भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्माय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा । می बाति कपूर सुधार, दीपक-ज्योति सुहावनी । भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ 'उत्तम क्षमादिदशलक्षणधर्माय दीपं निर्वपामीति स्वाहा । अगर धूप विस्तार, फैले सर्व सुगन्धता । भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्माय धूपं निर्वपामीति स्वाहा । फल की जाति अपार, प्रान- नयन- मन- मोहने । भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्माय फलं निर्वपामीति स्वाहा । आठों दरब संवार, द्यनत अधिक उछाह सौं। भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्माय अर्घं निर्वपामीति स्वाहा । अंगपूजा सोरठा पीड़ें दुष्ट अनेक, बाँध मार बहुविधि करें । धरिये छिमा विवेक, कोप न कीजै पीतमा ॥ 709
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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