SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 708
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशलक्षणधर्म-पूजा अडिल्ल उत्तम छिमा मारदव आरजव भाव हैं, सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैं। आकिंचन ब्रह्मचर्य धरम दस सार हैं, चहुँगति-दुख तें काढ़ि मुकति करतार हैं । ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्म ! अत्र अवतरतु अवतरतु संवौषट् । (आह्वाननम्) ____ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्म ! अत्र तिष्ठतु तिष्ठतु ठः ठः । (स्थापनम्) ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्म ! अत्र मम सन्निहितो भवतु भवतु वषट् । (सन्निधिकरणम्) सोरठा हेमाचल की धार, मुनि-चित सम शीतल सुरभि । भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमा-मार्दव-आर्जव-सत्य-शौच-संयम-तपस्त्यागाकिञ्चन्य-ब्रह्मचर्याणीति दशलक्षण धर्माय जलं निर्वपामीति स्वाहा । चन्दन केशर गार, होय सुवास दशों दिशा। भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्माय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा । अमल अखण्डित सार, तन्दुल चन्द्र समान शुभ । भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्माय अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा । फूल अनेक प्रकार, महके ऊ रध-लोकलों। ___ भव-आताप निवार, दस-लच्छन पूजौं सदा ॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्माय पुष्पा निर्वपामीति स्वाहा । 708
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy