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________________ आवो हम सब करें अर्चना, पार्श्वनाथ भगवान् की । जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4 ॥ अनन्नास मोसम्म नींबू, सेव संतरा फल ताजे । प्रभु के सन्मुख अर्पण करते, मिले मोक्षफल भव भाजें ॥ जिनवंदन से निजगुण प्रगटे, मिले युक्ति शिवधाम की। जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4 | ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। आवो हम सब करें अर्चना, पार्श्वनाथ भगवान् की । जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4॥ जल गंधादिक अघ्य सजाकर, जिनवर चरण चढ़ा करके । रत्नत्रय अनमोल प्राप्त कर, बसूँ मोक्ष में जा करके। इसी हेतु त्रिभुवन जनता भी, भक्ति करे भगवान् की॥ जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4॥ ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपद-प्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। (दोहा) कनक-भृंग में मिष्ट-जल, सुरगंगा-समवेत जिनपद धारा करत ही, भव-जल को जल देत ।। 10 ॥ शांतये शांतिधारा। वकुल कमल चंपा सुरभि, पुष्पांजलि विकिरं । मिले निजातम-संपदा, होवे भव-दुःख अंत॥11॥ दिव्यपुष्पांजलिः। पंचकल्याणक वंदन शत-शत बार है. पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है। जिनका गर्भ - कल्याणक जजते, मिले सौख्य-भंडार है ।। 617
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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