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________________ आवो हम सब करें अर्चना, पार्श्वनाथ भगवान् की । जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् 4॥ मालपुआ रसगुल्ला बरफी, जिनवर निकट चढ़ाते ही नाना उदर-व्याधि विघटित हो, समरस तृप्ती प्रगटे ही || गणधर - मुनिवर भी गुण गाते, महिमा जिन भगवान् की । जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4॥ ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोग-विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। आवो हम सब करें अर्चना, पार्श्वनाथ भगवान् की । जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4॥ केवल-ज्ञान-सूर्य हो भगवान्! मम अज्ञान हटा दीजे। दीपक से मैं करूँ आरती, ज्ञान-ज्योति प्रगटित कीजे ।। चक्रवर्ति भी करें वंदना, अतिशय - ज्योतिर्मान की ।। जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4 | ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय मोहान्धकार-विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। आवो हम सब करें अर्चना, पार्श्वनाथ भगवान् की । जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4 ॥ सुरभित-धूप धूपघट समें मैं, खेऊँ सुरभि गगन फैले। कर्म भस्म हो जाएं शीघ्र ही, जो हैं अशुभ अशुचि मैले ।। सम्यग्दर्शन क्षायिक होवे, मिले राह उत्थान की ।। जिनकी भक्ति से प्रकटित हो, ज्योति आतम-ज्ञान की|| || वंदे जिनवरम् - 4॥ ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अष्टकर्म-दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। 616
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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