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________________ नानाविधि फल भर थाल, लेकर मैं आयो। शिव काजे प्रभु-गुण गाय, मन में हर्षायो।। चिंतामणि-पारसनाथ चिंता दूर करें। मन-चिंतित होत हि काज, जो प्रभु-चरण चुरे।।।8।। ॐ ह्रीं श्रीचिंतामणि-पार्श्वनाथजिनेन्द्राय मोक्षफल-प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। वसु-विधि सब द्रव्य मिलाय, अर्घ उतारत हूँ। निज पद मेरो मिल जाय, याते याचत हूँ।। चिंतामणि-पारसनाथ चिंता दूर करें। मन-चिंतित होत हि काज, जो प्रभु-चरण चुरे।। 9॥ ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनध्यपद-प्राप्तये अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। (दोहा) चिंतामणि चिंता हरे, चिन्तत पूरे काज। धन्य भाग मेरो प्रभु दर्शन पाये आज। ॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि । ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय गर्भकल्याण-प्राप्ताय नमः। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याण-प्राप्ताय नमः। ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय तपकल्याण-प्राप्ताय नमः। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय केवलज्ञानकल्याण-प्राप्ताय नमः। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय मोक्षकल्याण-प्राप्ताय नमः। 566
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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