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________________ श्री चन्द्रप्रभ जिन-पूजा (चाँदखेड़ी) महासेन-लक्ष्मणा-सुत अष्टम तीर्थंकर शीश नवाता हूँ। चांदखेड़ी के चन्दाप्रभु चरणों में तेरे आया हूँ।। संवत दो सहस अट्ठावन फाल्गुन सुदी दसमी रविवार। प्रकटाए रत्नमय चंदाप्रभु मुनिपुंगव सुधासागर।। चतुर्थ काल की प्रतिमाएँ तल-प्रकोष्ठ में विराजमान। रत्नों की और नहीं विश्व में इस आकार समान।। यक्ष-रक्षित रत्नमय चंदाप्रभु अरिहंत पार्श्वनाथ भगवान। कायाकल्प हुई चांदखेड़ी की महिमा आदिनाथ भगवान।। आह्वानन करता हूँ प्रभु का यक्ष-रक्षित अतिशय-धारी। अत्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ सन्निधिकरण सुखकारी।। ऊँ ह्रीं चांदखेड़ी के बन्द-तल-प्रकोष्ठ में विराजमान यक्ष-रक्षित चंदाप्रभु-अरिहंत पार्श्वनाथभगवन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं चांदखेड़ी के बन्द-तल-प्रकोष्ठ में विराजमान यक्ष-रक्षित चंदाप्रभु-अरिहंत पार्श्वनाथभगवन्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ॐ ह्रीं चांदखेड़ी के बन्द-तल-प्रकोष्ठ में विराजमान यक्ष-रक्षित चंदाप्रभु-अरिहंत पार्श्वनाथभगवन्! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) मुनि-मन-सम उज्ज्वल जल लेकर, चरणों में आया हूँ। कर्म-कलंक मिटाने को भावों से, प्रक्षालन करता हूँ।। भव-सागर पार करो स्वामी, विनती करने को आया हूँ। चांदखेड़ी के चन्दाप्रभु तेरे चरणों में आया हूँ।। ॐ ह्रीं चांदखेड़ी के बन्द-तल-प्रकोष्ठ में विराजमान यक्ष-रक्षित चंदाप्रभु जिनप्रतिमासमूहाय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।।। 501
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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