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________________ परम दिगम्बर शान्तिमय प्रतिमा भव्य अपार ।। सौम्य शान्त अति कान्तिमय, निर्विकार साकार । अष्ट द्रव्य का अर्घ्य ले पूजूं विविध प्रकार बाड़ा के पद्म जिनेश, मंगल रूप सही । काटो सब क्लेश महेश, मेरी अर्ज यही ।। ऊँ ह्रीं भूमिस्थित-अप्रकट- श्रीपद्मप्रभ - जिनबिम्बाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। पंचकल्याणक श्री पद्मप्रभ जिनराज जी मोहे राखो हो शरना । माघ कृष्ण छठ में प्रभो, आये गर्भ मंझार मात सुसीमा का जनम किया सफल करतार || श्री पदमप्रभ जिनराज जी मोहे राखो हो शरना। माघ कृष्णा छठ में प्रभो, आये गर्भ मंझार ॥ ऊँ ह्रीं माघकृष्णा-षष्ठ्यां गर्भमंगल-प्राप्ताय श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।1। कार्तिक वदी तेरह तिथी, प्रभू लियो अवतार। देवों ने पूजा करी, हुआ मंगलाचार।। श्री पदमप्रभ जिनराज जी मोहे राखो हो शरना। माघ कृष्णा छठ में प्रभो, आये गर्भ मंझार ॥ ऊँ ह्रीं कार्तिककृष्णा-त्रयोदश्यां जन्ममंगल-प्राप्ताय श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। 2। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, तृणवत् बन्धन तोड़। तप धार्यो भगवान ने, मोह कर्म को मोड़ || श्री पदमप्रभ जिनराज जी मोहे राखो हो शरना । माघ कृष्णा छठ में प्रभो, आये गर्भ मंझार ऊँ ह्रीं कार्तिककृष्णा-त्रयोदश्यां तपोमंगल-प्राप्ताय श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।3। 480
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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