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________________ जयमाला ऋषभदेव भगवान हैं, अनुपम गुण की खान। साँगानेर में आन विराजे, अतिशय बड़ा महान।। नमस्कार हो मन वचन तन से, ऋषभदेव भगवान प्रभु। बना हुआ हूँ भक्त तुम्हारा, तुमसा मैं बन जाऊँ प्रभु।। साँगानेर वाले बाबा को, हृदय कमल पर पधराऊँ। जिनशासन जयवंत प्रभु की, जयमाला अब मैं गाऊँ।। सर्वार्थ सिद्धि से प्रभु आये थे, नगर अयोध्या जन्म लिया। तीन लोक में शांति भई थी, जन्म महोत्सव यहाँ हुआ।। नाभिराय हैं पिता तुम्हारे, अंतिम कुलकर कहलाये। मरुदेवी हैं मात तुम्हारी, आदिनाथ तुम कहलाये।। स्वर्णमयी थी काया प्रभु की स्वर्णमय साकेत हुआ। जन्मकल्याणक हुआ आपका, मेरु पर अभिषेक हुआ।। लाख तेरासी पूर्वकाल तक, कर्म प्रवर्तक कहलाये। राजा बनकर राज्य किया था, मांडलीक प्रभु कहलाये।। नन्दा सुनन्दा पत्नी छोड़ी, पुत्र शतक को त्याग दिया। ब्राह्मी सुन्दरी पुत्री त्यागी, अक्षर अंक का ज्ञान दिया।। भेष दिगम्बर धारण करके, प्रथम श्रमण तुम कहलाये। एक हजार बरस तप करके, तीर्थ प्रवर्तक कहलाये। कैलाशगिरि से मोक्ष पधारे, सिद्ध प्रभु पद प्राप्त किया। साँगानेर में आन विराजे, अतिशय अद्भुत् यहाँ किया।। तेरह मील दूर जयपुर से, साँगानेर सुहाता है। चतुर्थ काल की प्रतिमा है यह, अतिशय क्षेत्र कहाता है।। __ प्राचीन नाम संग्रामपुरम् था, ग्रन्थों ने गाथा गाई। सात शतक यहाँ जैनी घर थे, धर्म दिगम्बर अनुयाई।। धन वैभव सम्पन्न सभी थे, प्रतिदिन पूजा करते थे। 430
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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