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________________ ऐसे पर्वत पर प्रभु आये, खुशी प्रजा तब सारी थी।। पद्मासन प्रतिमा मनहारी, चर्चित देश विदेशों में। तब औरंगजेब था आया, धर्म विरोधी भेषों में।।2।। मूर्ति विरोधी उसने जैसे, घात लगायी बाबा पर। दूध-धार बह शहद-मक्खियाँ, देखा भागा वह डरकर।। देखा अतिशय जब वह उसने, बना मूर्ति पूजक सच्चा। नहीं मूर्तियाँ अब तोदूँगा, नियम लिया उसने अच्छा।।3।। पन्ना का राजा बे घर था, राज्य हारकर वह अपना। मन्दिर जीर्णोद्धार कराकर, पूर्ण हुआ उसका सपना।। बहुत-बहुत है अतिशय प्यारे, श्रद्धा के आधार रहे। नाथ अनाथों के हो प्रभु तुम, सबको भाव से तार रहे।।4।। चरण आपके तारणहारे, रोग शोक भय नाशक हैं। इसीलिए तो तुमको ध्याते, सच्चे योगी साधक हैं।। विद्यागुरुवर छोटा बाबा, पहली बार यहाँ आये। मन्दिर छोटा सा देखा तो, बहुत बड़ा सब बनवाये।।5।। उसमें बाबा जायें कैसे?, सभी ओर यह चर्चा थी। किन्तु फूल सी उड़कर पहुँची, भक्ति-पुण्य गुरु अर्चा थी। बहुत बड़ा यह अतिशय देखा, किये विहार बड़े बाबा। श्रद्धालु लाखों दर्शक थे, संघ सहित छोटे बाबा।।6।। छोटेबाबा ने उच्चासन, दिया बड़ेबाबा को ज्यों। बड़ा संघ छोटे बाबा का, किया बड़ेबाबा ने त्यों।। अट्ठावन बहिनों की दीक्षा, हुयी आर्यिका श्रेष्ठ बनीं। दोनों बाबा इक दूजे का, रखते हैं नित ध्यानघनी।।7।। ज्ञान-सिन्धु के शुभाशीष से, कुण्डलपुर जब गुरु आये। कृपा बड़े बाबा की पाकर, समवशरण सी छवि पाये।। छोटे बाबा का सपना जो, हुआ समय पाकर सच्चा। 410
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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