SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 399
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माघ चतुर्दशि कृष्ण की, मोक्ष गये भगवान । भवि जीवों को बोधि के, पहुँचे शिवपुर थान ॥ ॐ ह्रीं माघकृष्णचतुर्दश्यां मोक्षकल्याणकप्राप्ताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। जयमाला आदीश्वर महाराज मैं विनती तुमसे करूँ। चारों गति के माँहिं मैं दुःख पायो सो सुनो ॥ अष्ट कर्म मैं एकलो, यह दुष्ट महादुख देत हो। कबहूँ इतर निगोद में मोकूँ, पटकत करत अचेत हो । म्हारी दीनतणी सुन वीनती।टेक ॥ प्रभु कबहूँक पटक्यो नरक में, जठै जीव महादुख पाय हो । निष्ठुर निरदई नारकी, जठै करत परस्पर घात हो । म्हारी दीनतणी सुन वीनती।। प्रभु नरक तणां दुःख अब कहूँ, जठै करत परस्पर घात हो। कोइयक बाँध्यो खंभस्यो, पापी दे मुदगर की मार हो । कोइयक काटें करोत सों, पापी अंगतणी दोयफाड़ हो । म्हारी दीनतणी सुन वीनती॥ प्रभु यहविधि दुःख भुगत्याघणां, फिर गति पाई तिरयंच हो। म्हारी दीनतणी सुन वीनती॥ हिरणा बकरा बाछला, पशु दीन गरीब अनाथ हो। पकड़ कसाई जाल में, पापी काट काट तन खाय हो । म्हारी दीनतणी सुन वीनती॥ प्रभु मैं ऊंट बलद भैंसा भयो जा लादियो भार अपार हो। नहिं चाल्यौ जब गिर पडयो, पापी दे सोटन की मार हो। म्हारी दीनतणी सुन वीनती॥ प्रभु कोइयक पुण्य संजोग , मैं तो पायो स्वर्ग निवास हो। देवांगना संग रमि रह्यो जठै भोगनि को परकास हो। ___ म्हारी दीनतणी सुन वीनती॥ प्रभु संग अप्सरा रमि रह्यो, कर कर अति अनुराग हो । 399
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy