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________________ पंचकल्याणक - छन्द चाली सावन दशमी अँधियारी, जिन गर्भ रहे हितकारी। प्रभु कुन्थु तने युगचरणा, ले अरघजजों दुखहरणा।। ओं ह्रीं श्रावणकृष्णदशम्यां गर्भकल्याणकप्राप्ताय श्री कुन्थुनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। पडिवा वैशाख सुदी की, लक्ष्मीमति माता नीकी। जिन कुन्थ जने सुख पायो हम हूँ यहाँ अध्य चढ़ायो।। ओं ह्रीं वैशाखशुक्लप्रतिपदायां जन्मकल्याणकप्राप्ताय श्री कुन्थुनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। करि दूर परिग्रह ताको, वैशाख सुदी पडिवा को। सिर के जिन केश उपारे, मैं पूजें अरघ सिधारे।। ओं ह्रीं वैशाखशुक्लप्रतिपदायां तपकल्याणकप्राप्ताय श्री कुन्थुनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। सुदि चैत तृतीया ज्ञानी, हुये प्रभु मुक्ति-निशानी। तहँ देव अवेदन आनी, पूजे हम पूजे जानी।। ओं ह्रीं चैत्रशुक्लतृतीयायां ज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्री कुन्थुनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। तिथि शुभ वैशाख उजेरी, पडिवा समेदगिरी सेरी। करुणानिधि शिवतिय पाई, मैं पूजों अध्य बनाई।। ओं ह्रीं वैशाखशुक्लप्रतिपदायां मोक्षकल्याणकप्राप्ताय श्री कुन्थुनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। 355
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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