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________________ पंचकल्याणक - छन्द चालो वदि जेठ तनी छठि जानी, जिन गरभ रहे सुखखानी । जाँ पूजत सुरपति आई, हम पूजत अघ्य बनाई ।। ओं ह्रीं ज्येष्ठ कृष्णषष्ट्यां गर्भकल्याणक प्राप्ताय श्री श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। फाल्गुनवदि ग्यारसि नीकी, जननी विमला जिनजी की। जनिपुत्र भई खुशहाला, पूजों जिनपद सुखजाला। ओं ह्रीं फाल्गुनकृष्णैकादश्यां जन्मकल्याणकमण्डिताय श्री श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। वदि फाल्गुन ग्यारसि भाई, भावन द्वादशि जु कहाई । प्रभु त भवनवासी, तुम पाद जजों गुणरासी ॥ ओं ह्रीं फाल्गुनकृष्णैकादश्यां तप कल्याणकसहिताय श्री श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। ऋद्धी केवल शुभ पाई। वदि माघ अमावस गाई, प्रभु नाशत कष्ट घनेरे, ले अध्य जजों पद तेरे || ओं ह्रीं माघकृष्णामावस्यायां ज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्री श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। श्रावण की पूरनमासी, सम्मेदशिखर ते पासी । शिवरमणी परणी जाई, तुम चरण जजों शिरनाई || ओं ह्रीं श्रावणशुक्लपौर्णमास्यां मोक्षकल्याणकप्राप्ताय श्री श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। 321
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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