SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अगहन दशमी कृष्ण ही, तप धार्यौ वन जाय। सुरनरपति पूजा करी, मैं जजहूँ गुण गाय | 3 | ऊँ ह्रीं मार्गशीर्षकृष्णा-दशम्यां तपोमंगल-मंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। दशमी सित वैशाख ही, घाति कर्म चक चूर केवलज्ञान उपाइयो, जजूँ चरण गुण भूर 4 ऊँ ह्रीं वैशाखशुक्ला-दशम्यां ज्ञानमंगल-मंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। कार्तिक बदी मावस गये, शेष कर्म हनि मोख । पावापुरतैं वीरजी, जजूँ चरण गुण घोख | 5 | ऊँ ह्रीं कार्तिककृष्णा-अमावस्यां मोक्षमंगल-मंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। जयमाला (दोहा) सनमति सन्मति द्यौ मुझे, हो सनमति-दातार । होत अमल विस्तार। 1। इहै भक्ति पावन जगत, (पद्धरि छन्द) जय महावीर दुति अमल भान, सिद्धारथ - चित- अम्बुज - फुलान। जय त्रिशला - चखि- कुमुदनि अनूप, प्रफुलावनकूं मुख चन्दरूप।1। जय कुण्डलपुर जिन जन्म-स्थान, हरिवंश व्योम-मधि सुष्ठु भान । जय कनक वरण कर-सप्त काय, हरि - चिन्ह बहत्तर वरष आय । 2 । जय इन्द्र कह्यौ अति वीर सूर, सुनि देव चल्यौ ह्वै सर्प क्रूर। फुंकार ज्वाल विकराल देख, कीडत कुमार भाजै विशेख | 3 | प्रभु धीर महा पन्नग अज्ञान, करि कीड़ हर्यौ मद को वितान प्रगट देव नय पूजि पाय, परशशि कह्यौ महावीर राय।4। लखि पूरव भव अनुप्रेख चिन्त, भयभीत भये भवतैं अत्यन्त। लौकान्त आय थुति पूज पाय, निज थान गये सुर-असुर आय।5। रचि शिविका करि उत्सव अपार, वन जाय धरे प्रभु तजि सिंगार 261
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy