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________________ श्री मल्लिनाथ जिन-पूजा (रचयिता - श्री वृन्दावन) (अडिल्ल) अपराजित तें आय नाथ मिथलापुर जाये। कुंभरायके नन्द, प्रजापति मात बताये।। कनक-वरन तन तुंग, धनुष पच्चीस विराजे। सो प्रभ तिष्ठह आय निकट मम ज्यों भ्रम भाजे।। ऊँ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ___ ऊँ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ऊँ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) (अष्टक - छन्द जोगीरासा) सुर-सरिता-जल उज्ज्वल ले कर, मनि गार भराई। जनम-जरा-मृत नाशन-कारन, जजहुँ चरन जिनराई।। राग-दोष-मद-मोह हरनको, तुम ही हो वरवीरा। यातें शरन गही जगपतिजी, वेग हरो भवपीरा।।1।। ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। बावनचंदन कदली-नंदन, कुंकुमसंग घिसायो। लेकर पूजौं चरनकमल प्रभु, भवआताप नसायो।। राग-दोष-मद-मोह हरनको, तुम ही हो वरवीरा। याते शरन गही जगपतिजी, वेग हरो भवपीरा।। 2।। ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्राय संसारताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा। 101
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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