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________________ हिन्दी शब्दकोष पाद अंसु दीधिति किरनि, भानुतेज रुचि नाम ॥४५॥ ४५जीव वृहस्पति देवगुरु, ४६ रोहिनेय बुध सोम । ४७मंद सनीचर रवितनय, ४ भूसुत मंगल भौम ।।४६|| अगिनि धनंजय पवनहित, पावक अनल हुतास । ज्वलनविभावसुसिखिदहन वडवा उदधिनिवास:४७ ५पवन प्रभंजन गंधवह, अनिल वात पवमान | मामत मरुत समीर हरि, पावहित नभस्वान ॥४८॥ ५१ जमुनीबंधव समन हरि, धरमगज जम कालक। ४५ वृहस्पति नाम ४६ बुध(ग्रह)नाम ४७शनिश्चरनाम ४८ मंगलनाम ४९ अमिनान ११ वडवानलनाम ५० वायत ५१ यमराजनाम। * इस नामका नाटक समयसारमें निम्न जाता है:-- जम कृतांत अंतक त्रिदस, श्रावती मृतथान। प्रानहरन श्रादिततनय, काल नाम परवान ||
SR No.009237
Book TitleBanarsi Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1941
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size2 MB
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