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________________ धवला उद्धरण 88 सासादन आदि का अवहार काल वत्तीस सोलस चत्तारि जाण सदसहिदमट्ठवीसं च । एदे अवहारद्ध हवंति संदिट्ठिणा दिठ्ठा ।।37।। सासादन सम्यग्दृष्टि संबन्धी अवहार काल का प्रमाण 32, सम्यग्मिथ्यादृष्टि संबन्धी अवहार काल का प्रमाण 4 और संयतासंयत संबन्धी अवहार काल का प्रमाण 128 जानना चाहिये । सम्यग्ज्ञानियों के द्वारा देखे गये ये अवहारार्थ ॥37॥ पल्योपम का प्रमाण पण्णट्ठी च सहस्सा पंचसया खलु छउत्तरा तीसं । पलिदोवमं तु एदं वियाण संदिट्ठिणा दिट्ठ ।।38 ।। पैंसठ हजार पांच सौ छत्तीस (65536) को पल्योपम जानना चाहिये ऐसा सम्यग्ज्ञानियों ने अवलोकन किया है ।। 38 ।। सासादन से संयतासंयतों तक का प्रमाण विसहस्सं अडयालं छण्णउदी चेय चदुसहस्साणि । सोलससहस्साणि पुणो तिण्णिसया चउरसीदी या । 39 || पंचसय वारसुत्तरमुद्दिट्ठाई तु लद्धदव्वाई । सासणमिस्सासंजद-विरदाविरदाण णु कमेण ।।40 ।। सासादन सम्यग्दृष्टि जीवराशि का प्रमाण 2048, सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि का प्रमाण 4096, असंयत सम्यग्दृष्टि जीवराशि का प्रमाण 16384 और संयतासंयत जीवराशि का प्रमाण 512 आता है।।39-40।। प्रमत्तसंयत एवं अप्रमत्तसंयतों का प्रमाण तिगधिय-सद् णवणउदी छण्णउदी अप्पमत्त वे कोडी | पंचेव य तेणउदी णवट्ठ विसया छउत्तरा चेय ।।41।।
SR No.009235
Book TitleDhavala Uddharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size524 KB
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