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________________ 285 192 55 51 217 235 40 157 81 93 183 गाथानुक्रमणिका पुरिसेसु सदपुधत्तं पुरु-गुण-भोगे सेदे पुरुमहमुदारुरालं पुव्वकयब्भासो पुव्वस्स दु परिमाणं पुव्वापुव्व-पद्दय पुव्वुत्तवसेसाओ पूर्वापरविरुद्धादे पूर्वापरविरुद्धादे पूर्वापरविरुद्धादे पृतनाख-दण्डनायक पंच-ति-चउव्विहेहि पंचत्थिकायछज्जीव पंचत्थिकायमइयं पंचत्थिया य छज्जीव पंच य छ त्ति य छप्पं पंच य मासा पंच य पंचरस-पंचवण्णा पंच-समिदो ति-गुत्तो पंचसय वारसुत्तर पंच-सेल-पुरे रम्मे पंचादि अट्ठणिहणा पंचासुहसंघडणा पंचेव अत्थिकाया पंचेव सयसहस्सा पंचेव सयसहस्सा पंचेविदिय-पाणा मण प्रक्षेपकसंक्षेपेण प्रक्षेपकसंक्षेपेण 128/9 171/1 160/1 23/13 28/13 121/1 10/8 9/3 58/3 91/9 39/1 192/1 38/13 44/13 6/4 1/15 41/9 33/13 189/1 40/3 52/1 3/15 18/8 39/9 54/3 55/3 236/2 1/6 27/10 18 61 220 222 109 246 172 237 60 88 253 158 171 128 200
SR No.009235
Book TitleDhavala Uddharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size524 KB
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