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________________ धवला पुस्तक 13 237 असंयम के प्रकार पंचरस-पंचवण्णा दोगंधा अट्ठफास सत्तसरा। मणसा चोइसजीवा बादालीसं तु अविरमण।।33।। पांच रस, पांच वर्ण, दो गन्ध, आठ स्पर्श, सात स्वर, मन और चौदह प्रकार के जीव, इनकी अपेक्षा अविरमण अर्थात् इन्द्रिय व प्राणी रूप असंयम ब्यालीस प्रकार का है।।33।। सूत्र का लक्षण सुत्तं गणहरकहियं तहेव पत्तेयबुद्धकहियं च। सुदकेवलिणा कहियं अभिण्णदसपुव्विकहियं च।।34।। जिसका गणधर ने कथन किया हो, उसी प्रकार जिसका प्रत्येकबुद्धों ने कथन किया हो, श्रुतकेवलियों ने जिसका कथन किया हो तथा अभिन्नदशपूर्वियों ने जिसका कथन किया हो, वह सूत्र है।।34।। मुखामद्ध शरीरस्य सर्व वा मुखामुच्यते । तत्रापि नासिका श्रेष्ठा नासिकायाश्च चक्षुषी।।35।। शरीर के आधे भाग को मख कहते हैं. अथवा परा शरीर ही मख कहलाता है। उसमें भी नासिका श्रेष्ठ है और नासिका से भी दोनों आँखें श्रेष्ठ हैं।।35।।
SR No.009235
Book TitleDhavala Uddharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size524 KB
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