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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७९ श्री गौतमस्य या मुद्रा, तस्या या भुवि लब्धयः ताभिरभ्यधिकज्योति-रहन् सर्वनिधीश्वरः पातालवासिनो देवा, देवा भूपीठवासिनः; स्वर्वासिनोपि ये देवाः, सर्वे रक्षन्तु मामितः येऽवधिलब्धयो ये तु, परमावधि लब्धयः; ते सर्वे मुनयो दिव्याः, मां संरक्षन्तु सर्वतः भवनेन्द्र व्यन्तरेन्द्र ज्योतिष्केन्द्र कल्पेन्द्रेभ्यो नमो नमः श्रतावधि देशावधि सर्वावधि परमावधि बुद्धि ऋद्धिप्राप्त सर्वोषधर्द्धिप्राप्ता ऽनन्तबलर्द्धिप्राप्त तत्त्वर्द्धिप्राप्त रसर्द्धि प्राप्त वैक्रियर्द्धिप्राप्त क्षेत्रद्धिप्राप्त ऽक्षीण-महानसर्द्धिप्राप्तेभ्यो नमः. दुर्जना भूत-वेतालाः; पिशाचा मुद्गलास्तथा; ते सर्वेप्युपशाम्यन्तु, देवदेवप्रभावतः ॐ ह्रीं ह्रीःश्री तिर्लक्ष्मी, गौरी चंडी सरस्वती; जयाम्बा विजया क्लिन्ना, जिता नित्या मदद्रवा कामांगा कामबाणा च, सानंदा नंदमालिनी; माया मायाविनी रौद्री, कला काली कलिप्रिया एतास्सर्वा महादेव्यो, वर्तन्ते या जगत्त्रये; मह्यं सर्वाः प्रयच्छन्तु, कान्तिं लक्ष्मीं धृति मतिम् ६० For Private And Personal Use Only
SR No.008935
Book TitleSarva Mangal Manglyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Spiritual
File Size6 MB
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