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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .छल. नकल करते हों, सो बात नहीं; अब तो किसी-किसी केन्द्र में सामूहिक नकल होती है। परीक्षा में नकल करना भी धोखा है-छल है और उसका दुष्परिणाम हमें प्रत्यक्ष दिखाई देता है। नकल से ऊँचे अंको में परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सर्विस हथिया कर जब कार्यक्षेत्र में उतरते हैं, तब उनकी स्थिति बहुत दयनीय बन जाती है; क्योंकि जगह-जगह वे अपमानित होते हैं। सरकारी सर्विस में प्रमाणपत्र के कारण उन्हें सर्विस से अलग भले ही न किया जा सके; परन्तु दूरदूर के क्षेत्रों में उन्हें बार-बार स्थानान्तरित जरूर किया जाता है; क्योंकि कोई उन्हें नहीं रखना चाहता। इस प्रकार उनकी स्थिति फुटबॉल की तरह इधर से उधर परिवर्तित होती रहती है। निराशा और दुःख में ही उनका सारा जीवन व्यतीत होता है। ___ यदि कोई वकील को यथार्थ स्थिति से अवगत न कराये-उसे धोखा दे तो स्पष्ट ही वह अन्ततोगत्वा केस हार जायगा। वकील की फीस भी डूबेगी (कोई लाभ न दे सकेगी) और मुकदमा हार जाने पर प्रतिपक्ष को क्षति पूर्ति भी देनी पड़ेगी और दण्ड भोगना पड़ेगा, सो अलग। किसी ने ठीक ही कहा है : दगा किसी का सगा नहीं है किया नहीं तो कर देखो! पछताना जो नहीं चाहते, किया उन्हीं का घर देखो! जो व्यक्ति किसी की गुप्त बात आपके सामने प्रकट करता है, वह उसे धोखा दे रहा है-विश्वासघात कर रहा है। ऐसे व्यक्ति से सावधान रहिये। उसे अपनी गुप्त बात मत कहिये; अन्यथा स्वार्थ सिद्ध न होने पर वह नाराज होकर आपके साथ भी वैसा व्यवहार कर सकता है, जैसा वह किसी और के साथ कर रहा है। आपकी गुप्त बात भी वह आपके शत्रु के सामने प्रकट करके आपको भारी नुकसान पहुँचा सकता है। फिर भी परोपकार के लिए जो छल किया. जाता है, उसे अनुचित नहीं कह सकते। अकबर बादशाह ने नाराज होकर एक नौकरानी को निकाल दिया। उसका नाम थादौलत। रोती हुई वह बुद्धिमान मन्त्री बीरबल के घर गई। बीरबल ने उसे एक उपाय बता दिया। खुश होकर वह चली गई और समय की प्रतीक्षा करने लगी। ईद आई। उस दिन राजमहल में जहाँ बादशाह बैठते थे, उस कमरे पर प्रातःकाल जाकर किंवाड खटखटाने लगी। भीतर से बादशाह ने पूछाः- "कौन ?' बाहर से वह बोली :- "मैं दोलत हूँ। आपका हुक्म हो तो आऊँ या चली जाऊँ!" ईद के दिन बादशाह दौलत को जाने की आज्ञा कैसे दे सकते थे ? बोले :--"दौलत हो तो चली आओ।" भीतर प्रवेश करने पर उसे पुनःसर्विस दे दी गई। पूछताछ करनेपर बादशाह को पता चला कि यह तरीका उसे बीरबल ने बताया था। For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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