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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसमें निरन्तर प्रयत्न करते रहने की बात कही गई है। "ग्लोब का वायर दो इंच छोटा होना चाहिये !" इस सिद्धान्तका पता लगाने के लिए एडीसन को ३७ हजार प्रयोग करने पड़े थे-ऐसा सुना है । दुनिया में जितने भी अन्वेषण और आविष्कार अब तक हुए हैं अथवा भविष्य में होंगे, उन सबका श्रेय केवल साधना को है-उद्यम को है, पालस्यको नहीं । पालस्यं हि मनुष्याणाम् शरीरस्थो महारिपुः । नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ॥ [आलस्य मनुष्योंके शरीरमें रहनेवाला बड़ा भारी दुश्मन है । उद्यम के समान उसका कोई बन्धू नहीं है, जिसे करने वाला कभी दुखी नहीं होता ।। इंग्लिश की एक सूक्ति है : Something is better than nothing. [कुछ न होने से कुछ होना अच्छा है] जो लोग यह कहते हैं कि ठीक कार्य न करने की अपेक्षा कुछ न करना अच्छा है, उनको उत्तर देते हुए एक आचार्य ने कहा है : ___अविहिकया वरमकयम् असयवयणं भणन्ति गीयत्था । पायच्छित्तं जम्हा, अकए गुरुयं कए लहुयम् ॥ [अविधिपूर्वक करने से न करना अच्छा है - यह असूत्र (शास्त्रविरुद्ध) वचन है; क्योंकि जो गीतार्थ (शास्त्रज्ञ) हैं, उन्होंने न करने पर बड़ा और करने पर छोटा प्रायश्चित्त निर्धारित किया है] बात ठीक भी है; क्योंकि जो आज अविधिपूर्वक करते हैं, वे ही कल विधिपूर्वक भी कर सकेंगे; परन्तु जो कुछ भी नहीं करते, उनसे कोई आशा नहीं की जा सकती । For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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