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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५१ दूसरे दिन प्रातः काल उठकर प्रतिनिधि मण्डल लक्ष्मीविलास महल की श्रोर चल पड़ा। उसी समय उसने देखा कि किसी बड़े व्यक्ति के मर जाने से उसकी अर्थी श्मशान में ले जाई जा रही है । शबयात्रा में हजारों आदमी थे । एक आदमी से उसने अंग्रेजी में पूछा : “Who is dead ?" जवाब मिला - " मालूम नहीं साहब ! " यह सुनकर निराश प्रतिनिधि मंडल वहीं ठहर गया । पूछताछ करके सब लोग टेलिग्राफ ऑफिस में गये । वहाँ से अपने देश को टेलिग्राम कर दिया : "Unluckily the greatest engineer of India expired to day. We are returning." हिन्दी भाषा का अधूरा ज्ञान होने से प्रतिनिधि मण्डल अपने अभियान में असफल रहा। पूरे ज्ञान से ही सफलता मिलती है और सफलता से सुख प्राप्त होता है । सुख भीतर है । वहीं उसे खोजना उचित है, बाहर नहीं । एक बुढिया रात को बिजली के खम्मे के आसपास अपनी सुई खोज रही थी, जो उसके घर में ही कहीं खो गई थी । किसी ने उससे पूछा : "माताजी ! जब आपकी सुई घर में खोई है तो आप उसे घर में क्यों नहीं खोजतीं ? घर में खोई चीज़ सड़क पर ढूँढने से कैसे मिलेगी ?" बुढिया : "भैया ! घर में वस्तु खोई है जरूर, लेकिन वहाँ प्रकाश नहीं है; इस लिए यहाँ प्रकाश देखकर अपनी सुई खोजने के लिए मुझे सड़क पर भ्राना पड़ा । " बुढिया का तर्क सुनकर आप हँस सकते हैं; परन्तु हम स्वयं वही कार्य कर रहे हैं । सुख हृदय में खोया है, परन्तु उसे बाहर की वस्तुओं में ढूंढ रहे हैं; क्योंकि हमारे हृदय For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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