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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१६ वेश का भावना पर प्रभाव इस उत्तर से प्रमाणित होता है यही कारण है कि सामायिक के लिए वेश बदलना आवश्यक माना जाता है : सामाइयम्मि उकए समणो इव सावनो हवइ जम्हा । ए एणं कारणे णं बहुसो सामाइयं कुज्जा । [सामायिक करने पर श्रावक श्रमण के समान हो जाता है। इस कारण बार-बार सामायिक की जानी चाहिये | सामायिक तो आप करते हैं; परन्तु उसके बत्तीस दोष कौन से हैं ? यह तो मालूम न हो तो निर्दोष सामायिक कैसे होगी ? और जब तक निर्दोष सामायिक आप नहीं करते तब तक शुद्ध भावना की जागृति कैसे होगी ? धन के लिए धनवानों की आराधना की जाती है तो सामायिक के लिए भी श्रमणों की उपासना करनी होगी; क्योंकि श्रमण निरन्तर सामायिक में ही रहते हैं। वे ही सामायिक की कला में कुशल होते हैं। जो इस कला में कुशल नहीं हैं-ऐसा आप मान सकते हैं। ज़रा-सा धन पाने के लिए लोग नौकरी ढूढते हैं - इंटरव्यू देने के लिए बड़े-बड़े ऑफिसों में दौड़े जाते हैं ; परन्तु मैं आप सबको निमन्त्रण देता हूँ। आप मेरे आफिस में आइये। बिना इंटरव्यू लिये ही मैं सबको करोड़पतिअरबपति बना देता है। मैं आपको सामायिक की सविस दे दूंगा और तत्काल आपके जीवन में कितना परिवर्तन आ जाता है ? उसे देखिये - परखिये - मूल्यांकन कीजिये उसका ! करोड़पति - अरबपति, राष्ट्रपति आदि सब आपको वन्दन करेंगे। आपका गौरव उन सबसे अधिक होगा। क्या तैयार हैं आप इसके लिए ? For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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