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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१३ वे इस समय आराम फरमा रहे हों और मुझे बचाने न आये । यदि आ गये तो ठीक; परन्तु नहीं आये तो क्या होगा ? मैं फोकट मैं मारा जाऊँगा ।" आखिर उसने दोनों नाम एक साथ पुकार ने का निश्चय कर लिया। फिर खजूर पर चढ़ कर पुकारा : "जय राम खुदैया ! जय खुदा रमैया !!" ___ और कूद पड़ा । कोई नाराज़ न हो - इस दृष्टि से एक बार राम का और दूसरी बार खुदा का नाम पहले पुकार लिया, परन्तु वह बच नहीं सका । उसकी एक टाँग टूट गई । न रामने रक्षा की और न खुदाने । संशयात्मा विनश्यति ॥ [जिसे संदेह होता है, वह नष्ट हो जाता है] बीमार होने पर कोई व्यक्ति यदि एक गोली होमियो पैथिक की, एक बायोकेमिक की, एक आयुर्वेदिक की और एक एलोपैथिक की मिलाकर खाना शुरू करे कि किसी-नकिसी से कुछ-न-कुछ तो लाभ हो ही जायगा तो परिणाम क्या होगा ? आप स्वयं सोच सकते हैं । स्वास्थ्य के लिए किसी एक पैथी पर पूरी श्रद्धा रख कर उसीका पहले इलाज करना चाहिये । उससे लाभ न हो तो फिर पैथी बदली जा सकती है। मौलाना रूभी अपने शिष्यों के साथ किसी खेत में गये । वहाँ किसानने दस-दस हाथ गहरे पचास गड्ढे खोद रक्खे थे और उनमें जल न निकलने के कारण वह इक्कावनवाँ नया गड्ढा खोदने की तैयारी कर रहा था। रूमी ने कहा कि यदि पचास गड्ढे अलग-अलग न खोद कर इस किसान For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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