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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६७ फिर सन्त तुलसीदास के पास पहुँचे । सारी बात सुन कर तुलसीदासने कहा : “अरब का धर्म और वहाँ की संस्कृति इस देश की प्रकृति से मेल नहीं खाती । जहाँ भारतीय संस्कृति पाली जाती है, वहीं मेरी शक्ति काम कर सकती है, अन्यत्र नहीं।" यहाँ से निराश हो कर अन्त में अरब का वह प्रतिनिधि मण्डल महात्मा कबीर के पास पहचा । प्रस्ताव सुनते ही वे तत्काल चलने को तैयार हो गये। प्रतिनिधिमण्डल महात्मा कबीर को साथ लेकर अरब के बादशाह के पास पहुँचा । बादशाहने महात्मा कबीर का आदर-सत्कार करके उन्हें ऊँचे आसन पर बिठाया और अर्ज किया : “आप मेरे बेटे को जीवित कर दीजिये ।" कबीर ने मुर्दे की और देखकर कहा : "उठ जा खुदा के नाम से !" मुर्दे में कोई हलचल नहीं हुई। फिर कहा : "उठ जा कुदरत के नाम से !" फिर भी मुर्दे में कोई जान नहीं आ सकी । अन्त में कहा : उठ जा मेरे नाम से ।' । यह सुनने ही मुर्दा उठकर बैठ गया। इससे बादशाह को खुशी तो हुई; परन्तु कबीर को धन्यवाद देने के बदले फाँसी देने का हुक्म यह कह कर दे दिया : “कुरानमें लिखा है, जो अपने को खुदा से बड़ा साबित करे, वह काफ़िर होता है । उसे जान से मार डालना चाहिये ।" कबीर साहबने मुस्कुराते हुए कहा : तब तो खुदाको ही फांसी लगनी चाहिये; क्योंकि उन्होंने स्वयं ही मुझे For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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