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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६ आखिर उसने उत्तरपुस्तिका में से कागज का एक टुकड़ा फाड़ कर उस पर लिख दिया : हजारों की किस्मत तेरे हाथ है अगर पास कर दे तो क्या बात है ! फिर वह टुकड़ा उत्तरपुस्तिका के मुखपृष्ठ पर आलपिन से नत्थी करके कोरी उत्तरपुस्तिका निरीक्षक महोदय को थमा दी। निरीक्षक ने दोनों पद्यात्मक पक्तियाँ पढ़ कर उस कागज़ के टुकड़े के पीछे अपनी ओर से ये दो पंक्तियाँ लिख दी : किताबों की ढेरी तेरे हाथ थी! अगर याद करता तो क्या बात थी ? फिर वह टुकड़ा परीक्षार्थी को लौटा दिया। परीक्षार्थी छात्र अत्यन्त लज्जित होकर अपने घर चला गया। आलसी को इसी प्रकार सर्वत्र लज्जित होना पड़ता है। महात्मा बुद्ध ने कहा था : पमादो मच्चुनो पदम् ॥ [आलस्य मृत्यु का कारण है] एक आम का पेड़ था। उसके नीचे दो आदमी लेटे हुए थे। उनमें से एक की छाती पर एक पका आम हवा के झोंके से टूट कर आ गिरा । उधर से एक घुड़सवार गुजर रहा था। आम वाले आदमी ने घुड़सवार को पुकारा । वह घोड़े से उतरकर वहाँ गया। पूछने पर उसने कहा : "कृपया मेरी छाती पर गिरा हुआ यह आम मेरे मुह में निचोड़ दीजिये।" यह सुनकर मुसाफिर खिलखिला कर हँसा और बोला : For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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