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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८८ इन दोनों को शारीरिक श्रम का फल स्वास्थ्य के रूप में मिलता है; परन्तु दूसरे व्यक्ति को टहलने में जो आनंद आता है, उससे पहला व्यक्ति सर्वथा वंचित रह जाता है । श्रम के बाद जो आराम किया जाता है, उसे विश्राम कहते हैं। बिना श्रम किये यदि कोई आराम करता है तो वह आलसी है। परीक्षा के दिनों में वही छात्र घबराता है, जिसने साल भर कोई परिश्रम न किया हो । प्रश्नपत्र सरल भी हो तो ऐसे छात्र को वह कठिन लगता है। एक छात्र वार्षिक परीक्षा देने के लिए परीक्षा-भवन में पहुँचा । अपने रोल नम्बर की सीट हूँ ढकर उस पर बैठ गया। घंटी बजी। प्रश्नपत्रों का वितरण किया गया। उसे भी प्रश्नपत्र मिला। प्रश्नपत्र पाते ही उसे एक बार ध्यानपूर्वक पढ़ लेना चाहिये और जो-जो प्रश्न सरल हो या जिनका उत्तर आता हो, उन पर टिक मार्क लगा कर पहले उनका उत्तर लिख लेना चाहिये और फिर उन प्रश्नों की ओर ध्यान देना चाहिये, जिनका उत्तर नहीं आता या जो बहुत कठिन लगते हैं। उस परीक्षार्थी ने भी अपना प्रश्नपत्र सावधानी से पढ़ा, परन्तु टिक मार्क लगाने लायक एक भी प्रश्न उसमें नहीं था। एक भी प्रश्न ऐसा नहीं था, जिसका उत्तर उसे सूझ रहा हो। पूरा वर्ष उसने खेलने-कूदने और हँसी-मजाक करने में ही बिता दिया था। आज वह अपने आलस्य के लिए पछता रहा था-अपने आपको कोस रहा था; परन्तु अब क्या हो सकता था ? "अब पछताये होत क्या ? जक चिड़िया चुग गई खेत!" For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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