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________________ हिंसा का रुख अर्थात् आत्मकथा की पूर्णाहुति १२५ को प्राप्त किया। ___ अभयरुचि अणगार एवं अभयमती साध्वी अनेक वर्षों तक पृथ्वी पर विचरे और अपनी आत्मकथा के द्वारा अनेक जीवों को हिंसा से रोक कर अहिंसा की ओर उन्मुख करके अन्त में उत्तम ध्यान पूर्वक। अभयरूचि अणगार एवं अभयमती साध्वी निर्मल चारित्र का पालन करके आठवे सहस्रार देवलोक' में गये। (७) अभयरुचि अणगार का जीव देवलोक से च्यव कर कोशल देश में अयोध्या के राजा विनयंधर का पुत्र हुआ। यहाँ दैवयोग से उसका नाम यशोधर रखा गया। . साध्वी अभयमती का जीव भी सहस्रार देवलोक में से व्यव कर पाटलीपुत्र के राजा ईशानसेन की पुत्री विनयावती के रूप में उत्पन्न हुआ। विनयमती ने स्वयंवर में यशोधर से विवाह किया और अयोध्या में उनका विवाहोत्सव भव्यता पूर्वक हुआ। (८) अपरान का समय था ! मध्याह्न की गर्मी का शमन होकर शीतलता का प्रारम्भ हो गया था, उस समय राजकुमार यशोधर ने हाथी पर आरूढ़ होकर विनयमती के साथ विवाह करने के लिए प्रयाण किया। उसके आगे विविध वाद्य यंत्र बज रहे थे, पीछे सुहागिन नारियाँ मंगल गीत गा रही थीं, नर्तकियाँ विविध प्रकार के नृत्य करके शोभा में अभिवृद्धि कर रही थीं और मंगल-पाठक आशीर्वाद सूचक श्लोकों का उच्चारण कर रहे थे. जब शोभा यात्रा ठीक अयोध्या के राजमार्ग पर पहुंची तब राजकुमार का दाहिना अंग फड़कने लगा। राजकुमार ने इस शुभ सूचक लक्षण का अभिनन्दन किया। इतने में एक सेठ के घर भिक्षा ग्रहण करके बाहर निकलते हुए एक मुनिवर को उसने देखा. राजकुमार की दृष्टि मुनि पर स्थिर हो गई और उन्हें विचार आया ऐसे साधुत्व का मैंने कहीं अनुभव किया है और वे अचेत हो गये। शोभायात्रा आगे बढ़ रही थी तव राजकुमार की देह लुढ़क गई। महावत चतुर था। उसने कुमार को गिरने से पकड़ लिया। शोभायात्रा रुक गई, वाद्य-यंत्रो की ध्वनि बंद हो गई, मंगल गीत गाने वाली सुहागिनें मौन हो गई, नर्तकियों के नृत्य थम गये और सभी लोग आगे-पीछे होकर १ यशोधर चरित्र में अभयरुचि अणगार एवं अभयमती आठवे भव में मोक्ष में गये ऐसा उल्लेख है, जबकि हरिभद्रसूरि द्वारा रचित इस कथा में देव का एक भव करने के पश्चात् दसवे भव में मुक्ति प्राप्त करने का उल्लेख है।
SR No.008713
Book TitleJain Katha Sagar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailassagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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