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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: के आपके चित में कैसा आनंद आयेगा? वर्षों से प्रतीक्षा है, इकलौता लड़ता है और विदेश से लौटकर आएगा, उसे देखंगा माता-पिता के हृदय में बड़ी प्रसन्नता होगी. उसके लिए बड़े उत्सुक रहेंगे, कैसे उसके पास जाऊं, कब वह तारीख आये? बड़ी बेचैनी रहती है. __यदि आने की तारीख आ जाये, आपको अगर लेने जाना पड़े, सुबह से कितनी जल्दी तैयार हो जायेंगे, कितनी प्रसन्नता रहेगी. भाव में उत्तरोत्तर वृद्धि होती चली जायेगी. उसी समय घर से गाड़ी लेकर आप निकले, रास्ते में आप जा रहें हैं, घर से एयरपोर्ट तक कितनी भाव की वृद्धि होगी, उसे जरा सोच लीजिए. कब आये, कब उसे देखें, कब मुझे सन्तोष हो? इतनी उत्सुकता बनी रहेगी. वहां जाकर के आप इंतजार में खड़े रहेंगे और फ्लाइट आ जाये, देख कर मन में अपार प्रसन्नता होगी, मेरा लड़का अभी उसमें आयेगा मैं उसे देखूगा. यदि फ्लाइट उतर जाए, उसके बाद बालक उतरे चेहरा देखकर कितनी प्रसन्नता होगी, बालक आकर के चरणों में गिरे और नमस्कार करे, आपकी आंखों में प्रेम के आंसू आ जायेंगे. बोलने के लिए शब्द नहीं मिलेगा, अपार आनन्द आ जायेगा. एक भौतिक वस्तु की प्राप्ति से चित में इतना आनंद आये तो क्या परमात्मा को देखकर यह आनंद आता है? कभी ऐसी अनुभूति होती है? लड़के को देखकर के आ गया. जीवन पर सर्वोपरि जिनका उपकार है, जिनकी कृपा से ही हम संसार के दुख से मुक्त बनेंगे. उस परमात्मा के दर्शन के बाद कभी ऐसी अन परमात्मा के दर्शन के द्वारा कभी प्रेम के आंसू आये? मन से कभी धन्यवाद दिया? सुबह प्रातः काल यदि उठे और मन में एक विचार आया कि परमात्मा के दर्शन को जाऊं इस विचार से एक उपवास का लाभ. विचार को सक्रिय बनाने के लिए पांव नीचे रखा, दो उपवास का लाभ आप चलने लगे तीन उपवास का लाभ. जैसे ही वहां से चले, मन की प्रसन्नता बहती चली. मन्दिर में देवता का दर्शन किया. मंगल शिखर दिखा कि मझे भी साधना के शिखर तक पहुंचना है. यह साधना का सर्वोच्च प्रतीक है. मन में अपार प्रसन्नता कि अभी जाऊं और परमात्मा का दर्शन करूं. अपने नेत्र को तृप्त कर दूं. आप उपवास का लाभ लेंगे. जैसे ही परमात्मा के मन्दिर में चढ़ना शुरू किया, द्वार तक पहुंचा, मनकी प्रसन्नता बढ़ती चली गई तो सोलह उपवास का लाभ. जैसे ही परमात्मा के दर्शन करते ही अपार चित में प्रसन्नता आये तो मास-क्षमण का लाभ, प्रतिदिन मास प्रतिक्रमण का लाभ मिल सकता है. अन्तर से भाव का पुराकाल नहीं चाहिए, यहां सारी क्रिया का मूल्यांकन प्रेम भाव से किया गया, कोई भी धर्म किया, आप माला गिनें सामायिक करें, परमात्मा का नाम लें. प्रार्थना करें आपके अन्दर उसकी प्रशंसा कितनी है? यही उसका माप दण्ड है. दर्शन के बाद तो बहुत प्रकार की विधि बतलाई है. वह भी मैं समझाऊंगा. परन्तु पहली बार हमें यह देखना है, हम क्रिया मे कितने जागृत है? एक सामायिक की क्रिया. अपूर्व वैज्ञानिक / सूति हई 384 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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