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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी देता था. अहमदाबाद में पोल है. वहां पर बैठता धारी पर, वहीं दातून-पानी करता. तो। मुहल्ले के दो चार लोग आ जाते . तूं मुझे कायदा बतलाता है ? यह कहकर मारने को तलवार निकाली. महाजन भी कम नहीं था, उसने अपनी कलम दिखाकर कहा कि तेरी तलवार से ताकत इसमें ज्यादा है. ___ जा-जा तेरे कलम बहुत देखे हैं मैंने. पैसा तो दे दिया, भुगतान कर दिया. पुराने जमाने में जिसे तनख्वाह देनी होती, उस व्यक्ति का हलिया लिखा रहता, कि ये सैनिक हैं, कहीं कोई गलत आदमी तनख्वाह न ले जाऐ. चेहरे का कोई चिन्ह उसमें लिखा रहता. उसने वहां नोट लगा दिया, नीचे अंडरलाइन कर व्यक्ति इस नाम का है, इसके अगले दो दांत टूटे हुए हैं, निशान लगा दिया. वहाँ से वह चला गया, ट्रांसफर हो गया. सैनिक कायदा तो बड़ा जड़ होता है. ___जब दूसरा महीना हुआ तो तनख्वाह लेने गया, सामने डायरी देखी. वह भी मराठा था, बड़ा अकड़बाज था, उसने जब चेहरा देखा कि गलत आदमी है, बोला- यह नाम किसी दूसरे का है, तुम्हारा नहीं है. तुम्हारा नाम आए, तब आना. ___ उसने कहा-यह व्यक्ति मैं ही हूँ, यह पता भी मेरे घर का ही है. अरे! सब कुछ है, पर तेरे दो दांत टे हए नहीं हैं. कायदा कहता है, यह आदमी नही हैं, मैं तुम्हारी बात नही सुनता. मैं तो कायदे की बात सुनता हूँ दो दांत टूटे हुए हों तभी तनख्वाह मिलेगी आखिर विवश हो गया. दो दांत तुड़वा कर आना पड़ा. ___ महाजन की कलम में यह ताकत होती है. पठान बहुत तगड़ा और बहुत अभिमानी था. पर यह मफतलाल भी कम नहीं था. बड़ा होशियार था. रात के समय महफिल बैठी. पूरे मोहल्ले के महाजन आए. बैठ कर बातें की. कहा कि बड़ा गजब है, मैं अपनी मूंछ पर बंट देता हूँ और इस पठान को दुख होता है. क्या किया जाए ? कल मुकाबला हो तो क्या किया जाय ? साथियों ने कहा-सौ पचास चौकीदार रख लो, हो जाए मुकाबला. देखा जाएगा. कमाते तो रोज हो, समझना कि एक महीना नहीं कमाया तो क्या हुआ ? ग्यारह महीने की कमाई तो घर में है ही. उसने कहा- बात ठीक है. बाहर बात होती है, समाचार पठान के पास पहुंच जाता है. पठान ने कहा-पांच सौ चौकीदार रख लिया जाए, ताकि कभी मुकाबला हो तो इसका सब घर-बार साफ कर दिया जाए, फिर देखा जाएगा. अभिमान में पठान भी कम तो होते नहीं. मियां हम तो आन जानते हैं. पैसा आ गया तो अमीर हैं, चला गया तो फकीर हैं, मर गए तो वीर हैं, बहुत सीधा हिसाब है. उसने पांच सौ चौकीदार लगा लिए. वन 350 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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