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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी एक बार आपको यह आकार तो प्राप्त कर लेना है, यहां तो जीवन को आकार देने की क्रिया होती है. प्रवचन का प्रहार इसीलिए किया जाता है. अन्तरात्मा के अन्दर इस प्रकार का आचार प्रकट हो जाए. ऐसा प्रेशर दिया जाता है प्रवचन के द्वारा. जीवन कुंभ की तरह आकार प्राप्त कर ले. वह संसार में डूबे नहीं परन्तु तैरने लग जाए. तैरना एक कला है. डूबने में कोई कला नहीं, आचार सम्पन्न व्यक्ति कभी संसार में नहीं डूबता. जो व्यक्ति सम्यक् श्रद्धा से संपन्न हो. शील से सम्पन्न हो, अपने आचार में जागृत हो, वह कभी संसार-समुद्र में डूबेगा नहीं, वह तैरेगा. आप देख लीजिए, वाणी में यह विवेक का अनुशासन आवश्यक माना गया. शारीरिक रचना के अन्दर भी आप देखिए, कहीं किसी तरह का प्रतिबन्ध आंख के लिए नहीं, कान के लिए नहीं, किसी भी जगह कोई प्रतिबन्ध नहीं. आपकी जबान पर कैसा प्रतिबन्ध लगाया है. बत्तीस-बत्तीस गार्डस् रखे गए. कहीं ऐसी सुरक्षा नहीं है. आंख के लिए भी नहीं है. ___ जब से आप बोलना सीखे, तब से ये आने लगे. जहां तक आपको बोलना नहीं आया बाल्य अवस्था, निर्दोष अवस्था थी. ईश्वर का प्रतीक माना गया. बालक का हृदय तो निष्कपट होता है. एक भी दांत नहीं था. क्यों? खतरा ही नहीं. जब खतरा होता है, तब एक-एक गार्डस् बुलाये जाते हैं. जैसे-जैसे खतरा बढ़ता गया आत्मा की सारी पवित्रता जब चली गई, तब जाकर के बत्तीस के बत्तीस गार्डस् आकर के बैठ गए. दांत ने एक दिन वार्निंग दी जीभ को. अगर बोलने में जरा तुम चूक गए तो जानते हो कुचल डालेंगे. धारदार हैं, तीक्ष्ण हैं, तुम्हारे रक्षण के लिए आए हैं. तुम इसका गलत उपयोग न करो. प्रकृति ने हमें भेजा है. जीभ ने जवाब दिया. तुम मेरे पड़ोस में रहते हो. शत्रुता से कभी शत्रुता शान्त होती नहीं. मित्रवत् व्यवहार रखना पड़ता है. मेरे पड़ोस में रहते हो और तुमने आज पहली बार जुबान चलाई. और मुझे नोटिस दिया. तुम मेरा जवाब सुन लो. दूसरी बार यदि ऐसी भूल करोगे तो उसका परिणाम क्या आएगा? याद रखना. बाजार में ज़रा-सा ओंधा बोल गए तो बत्तीसी बाहर आ जाएगी. उस दिन से ये दांत चुप हैं कि इसको छेड़ना नहीं बड़ी खतरनाक है. कभी आपके साथ दुश्मनी की दांत ने. कभी इसे कष्ट पहुंचाया? कभी घायल किया? कभी यदि भूल से जीभ को चोट लग गई तो दांत को कितना पश्चाताप हुआ होगा. इसे आप सोचकर के चलना. आपके हाथ दो, कान दो, पर जीभ को देखा आपने. पावर कैसा? डिपार्टमैंन्ट कितना पावरफुल है इसके पास, दोनों महत्त्वपूर्ण विभाग हैं – फूडसप्लाई और ब्रोडकास्ट, यह मिनिस्टरी बड़ी पावरफुल होती है. सारा व्यवहार आपकी वाणी से चलता है. शरीर आपके आहार से चलता है. बिना वाणी के आपका व्यवहार नहीं चलेगा, व्यापार नहीं चलेगा. ET हा URRPM/ 207 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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